Move to Jagran APP

केदारनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड पड़ा है उपेक्षित

केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव रहे गौरीकुंड में आज भी आपदा का कहर साफ देखा जा सकता है। आज भी यहां पुनर्निर्माण के कार्य नहीं हो पाए हैं, जिससे यहां के व्यापारी मायूस हैं।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 03:07 PM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2017 04:00 AM (IST)
केदारनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड पड़ा है उपेक्षित
केदारनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड पड़ा है उपेक्षित

रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव रहे गौरीकुंड में आज भी आपदा का कहर साफ देखा जा सकता है। यात्रा सीजन में कभी यात्रियों से पूरी तरह भरे रहने वाले इस पड़ाव में अब यात्रा सीजन में भी सीमित यात्री ही दिखाई देते हैं। आज भी यहां पुनर्निर्माण के कार्य नहीं हो पाए हैं, जिससे यहां के व्यापारी मायूस हैं।

loksabha election banner

केदारनाथ आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान रामबाड़ा व केदारनाथ को पहुंचा। रामबाड़ा का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गया, जबकि गौरीकुंड और सोनप्रयाग में भी भारी तबाही मची। आपदा के बाद केदारनाथ धाम की सरकार ने तस्वीर बदल दी है। 

16 किमी पैदल मार्ग की स्थिति भी काफी अच्छी हो गई है। सोनप्रयाग में भी बड़े स्तर पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। लेकिन, गौरीकुंड की बात करें तो वहां खास सुधार नहीं हो पाया। हाल यह है कि यात्रा सीजन में अक्सर सड़क मार्ग खराब हो जाता है, जिससे यात्रियों को सोनप्रयाग से ही पैदल गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ जाना पड़ता है।

केदारनाथ में बाढ़ सुरक्षा कार्य के साथ ही नए भवन, तीन सौ से अधिक कॉटेज, पुल समेत कई कार्य हुए हैं। सोनप्रयाग में विदेशी तकनीकी से पुल निर्माण के साथ ही बहुमंजिला पार्किंग निर्माण का कार्य तेज गति से चल रहा है। सोनप्रयाग तक यातायात व्यवस्था भी नियमित है। 

आपदा के बाद सोनप्रयाग को ही प्रशासन ने मुख्य केंद्र बनाया है। घोड़ा, खच्चर का संचालन भी सोनप्रयाग से ही हो रहा है, जबकि पूर्व में यह गौरीकुंड से होता था। सोनप्रयाग से ही केदारनाथ के लिए राशन भेजने से लेकर सभी कार्य संचालित हो रहे हैं।

लेकिन, आपदा से पहले केदारनाथ यात्रा के महत्वपूर्ण केंद्र गौरीकुंड में अभी तक बाढ़ सुरक्षा कार्य भी नहीं हो पाए हैं। आपदा के तीन साल बाद यह कसबा सड़क से जुड़ सका। पार्किंग का निर्माण नहीं हो सका है। यहां क्षतिग्रस्त दुकानों को नए सिरे से नहीं निर्मित किया गया है, जिससे यहां पर अब यात्री न के बराबर रुकते हैं। 

इस बार भी यात्रा सीजन में गौरीकुंड की स्थिति में ज्यादा कोई बदलाव नहीं आएगा। अभी तक तप्त कुंड का निर्माण नहीं हो सका है, जबकि पुरानी मान्यताओं के अनुसार केदार बाबा के दर्शनों को आने वाला यात्री गौरीकुंड के तप्त कुंड में स्नान के बाद  ही बाबा के दर्शनों को पहुंचता था।

व्यापारियों के साथ जनता भी दुखी

सरकार की बेरुखी से गौरीकुंड के व्यापारी व स्थानीय जनता भी खासी नाराज है। गौरीकुंड व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष मायाराम गोस्वामी कहते हैं कि सरकार ने आपदा सुरक्षा कार्यों में गौरीकुंड की घोर उपेक्षा की है, जिससे यहां के व्यापारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। 

व्यापारी महेश बगवाड़ी कहते हैं कि सरकार को गौरीकुंड में विकास के प्रति गंभीर रुख अपनाना चाहिए, ताकि क्षेत्र के पंद्रह हजार से अधिक व्यापारियों को फिर से रोजगार मिल सके।

यह भी पढ़ें: 25 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट

यह भी पढ़ें: गंगोत्री से गंगा आरती का होगा सीधा प्रसारण 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.