नदी किनारे सेल्फी लेना बन रहा मौत का कारण
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग: मोबाइल फोन से सेल्फी लेने का चलन काफी बढ़ गया है। उसमें भी खतरनाक जगह पर
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग:
मोबाइल फोन से सेल्फी लेने का चलन काफी बढ़ गया है। उसमें भी खतरनाक जगह पर सेल्फी लेना युवक युवतियों के लिए बेहतर शौक बना हुआ है। लेकिन यह खतरनाक शौक कई युवाओं की जान पर भारी पड़ रहा है। नदी किनारे सेल्फी लेने के चक्कर में पिछले कुछ सालों में रुद्रप्रयाग क्षेत्र में चार युवक युवतियां जान गंवा चुके हैं। जबकि अन्य जगह भी इस तरह की घटनाओं की सूचनाएं आती रहती हैं।
मोबाइल फोन से सेल्फी लेने के शौक ने कई घरों की खुशियों को छीन वहां मातम फैला दिया। नदी किनारे खतरनाक जगह पर बैठकर सेल्फी लेना आम बात हो गई है। नदी के बहाव की सही जानकारी नहीं होने के चलते अक्सर युवक युवतियां इस जोखिम को उठाते रहते हैं। जब तक उनको इसका अंदाजा लगता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। आम तौर पर देखा गया है कि नदी किनारे या पहाड़ की चोटी पर सेल्फी लेने में युवक युवतियां ही आगे रहती हैं। खासकर टीनएज में यह क्रेज अधिक होता है। लेकिन इसको लेकर न तो प्रशासन सतर्क है और न ही बच्चों के अभिभावक इस दिशा में ध्यान दे रहे हैं। जबकि यह कितना घातक है इसका अंदाजा पिछले कुछ समय पहले हुई घटनाओं से लग सकता है। नदी किनारे तेज बहाव के पास जाकर सेल्फी लेने के चक्कर में दोनों नदी में बह गए। उनका कुछ पता नहीं चल पाया।
इससे पूर्व हुई घटनाएं
-गत फरवरी माह में कोटेश्वर में पौड़ी से आए एक दल में शामिल 11वीं की छात्रा आशना भी सेल्फी लेते समय पांव फिसलने से नदी में बह गई जिससे उसकी मौत हो गई। वर्ष 2014 में धारी देवी मंदिर के ठीक नीचे भी सेल्फी लेते समय एक छात्र नदी में डूब गया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। कोटेश्वर में ही वर्ष 2015 में भी शिवरात्रि के मौके पर रुद्रप्रयाग के ही एक युवक नदी में बह गया था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
पिछले एक साल में रुद्रप्रयाग में ही नदी में विभिन्न कारणों से बहने वालों की संख्या करीब 10 है।
सेल्फी का क्रेज दुर्घटनाओं का करण बन रहा है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए शीघ्र ठोस कदम उठाए जाएंगे। पुलिस प्रशासन की ओर से जो भी संभव होगा वह कार्रवाई की जाएगी।
तीर्थपाल सिंह, अपर जिला अधिकारी, रुद्रप्रयाग