रक्षाबंधन पर भगवती हरियाली के दर पर पहुंचेंगे भाई
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : रक्षाबंधन को लेकर जहां पूरे जनपद में उत्साह का माहौल है। वहीं, एक क्षेत्
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : रक्षाबंधन को लेकर जहां पूरे जनपद में उत्साह का माहौल है। वहीं, एक क्षेत्र ऐसा है जहां के ग्रामीण भगवती हरियाली को अपनी बहन मानते हैं। रक्षाबंधन के दिन क्षेत्रीय ग्रामीण अपनी बहन त्रिपुरा बाला सुंदरी को मिलने हरियाली कांठा स्थित उसके दर पहुंचेंगे। यहां भगवती हरियाली माई को शुद्ध दूध से बनी खीर का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की जाएगी।
जनपद के धनपुर व रानीगढ़ पट्टी की सीमा को जोड़ने वाले हरियाली कांठा स्थित हरियाली देवी के मंदिर में वैसे तो ग्रामीण पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, कुछ पल ग्रामीणों के लिए बेहद खास होते हैं। इसमें एक तो दीपावली के समय जब हरियाली अपने मायके कांठा पहुंचती हैं और एक रक्षाबंधन पर त्रिपुरा बाला सुंदरी (हरियाली) देवी को अपनी बहन के रूप में मानने वाले ग्रामीण जब कांठा पहुंचते हैं। यह देवी धनपुर, रानीगढ़ व बच्छणस्यूं क्षेत्र 18 ग्राम सभाओं के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती हैं। रक्षाबंधन के सात दिन पूर्व से ग्रामीण अपने गाय व भैंस का दूध घरों के अंदर सुरक्षित स्थानों पर रख देते हैं। इन सात दिनों तक दूध से भरे उन बर्तनों को अन्य लोगों व बच्चों की पहुंच से दूर रखा जाता है। रक्षाबंधन से एक दिन पहले कुछ दूध से घी बनाया जाता है और कुछ को रक्षाबंधन के दिन कांठा स्थित हरियाली मंदिर ले जाया जाता है। मंदिर परिसर में पहुंचते ही सबसे पहले मंदिर के आंगन व गर्भगृह की सफाई की जाती है। बाद में भगवती के मुख्य पुजारी मूर्ति को गाय के दूध से स्नान करवाकर पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद दूध में बिना पानी डाले (र्निपाणी) खीर बनाई जाती है। इसके अलावा हरियाली देवी को ककड़ी, मक्की समेत बरसात में होने वाले नए फल चढ़ाए जाते हैं। पाबौं गांव के ग्रामीणों को हरियाली देवी का मायका पक्ष माना जाता है, जबकि कोदिमा को ससुराल माना जाता है। कोदिमा के छत्र सिंह का कहना है कि रक्षाबंधन के दिन हरियाली कांठा में पूजा का विधान पूर्व से चला आ रहा है।