पूरा न हुआ रतूड़ा विकास खंड का सपना
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: प्रदेश में क्षेत्रफल व ग्राम सभा की दृष्टि से बडे़ विकासखण्ड अगस्त्यमुनि
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: प्रदेश में क्षेत्रफल व ग्राम सभा की दृष्टि से बडे़ विकासखण्ड अगस्त्यमुनि व जखोली विकास खंड के भरदार क्षेत्र को मिलाकर नए विकास खंड बनाने की मांग पिछले कई समय से चल रही है। लेकिन अभी तक इस पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसका असर ग्राम सभाओं के विकास पर भी पड़ रहा है। प्रतिनिधि बीडीसी बैठक में भी अपनी समस्याएं सही तरीके से नहीं रख सकते हैं।
जनपद गठन को 18 वर्ष का समय बीत चुका है, और इसी समय से जिले में विकासखंड रतूड़ा की मांग भी शुरू हो गई थी। धनपुर, रानीगढ़, बच्छणस्यूं एवं तल्लानागपुर समेत भरदार क्षेत्र को जोड़कर नया विकासखण्ड बनाने का प्रस्ताव प्रशासन ने शासन में भी भेजा, लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी। पूर्व में कई बार क्षेत्रीय लोग रतूड़ा को नए विकास खण्ड बनाने की मांग का लेकर आंदोलन करते रहे हैं, शासन पर भी दबाव बनाने का प्रयास किया, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकल सका।
जब नया जिला बना था उस समय पौड़ी जनपद के बच्णस्यू पट्टी, चमोली के धनपुर, रानीगढ़, तल्लानागपुर क्षेत्र को अगस्त्यमुनि विकास खण्ड में शामिल कर दिया गया। जिससे इस विकास खंड में डेढ़ सौ से अधिक ग्राम सभाएं हो गई। प्रतिनिधि अधिक होने से प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य अपनी समस्याएं भी सदन में सही तरीके से नहीं रख सकते हैं। जबकि बच्छणस्यू, धनपुर क्षेत्र के लोगों के लिए अगस्त्यमुनि विकास खंड पचास किमी से अधिक दूर पड़ता है। जिससे आर्थिक रूप से भी नुकसान ग्रामीणों को उठाना पड़ता है। कई बार ब्लाक से संबंधित छोटे कार्य के लिए भी चक्कर काटने पड़ते हैं। इसी समस्या को देखते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि अगस्त्यमुनि ब्लाक विभाजन कर रतूड़ा को नया विकास खण्ड बनाने की मांग करते आ रहे हैं।
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तीनों ब्लाकों में ग्राम पंचायतों की स्थिति-
ब्लाक ग्राम पंचायतें
अगस्त्यमुनि- 161
ऊखीमठ- 70
जखोली- 108
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'क्षेत्रीय लोगों की मांग पर अगस्त्यमुनि ब्लाक के विभाजन का प्रस्ताव पूर्व में केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।'
सुनील कुमार, जिला विकास अधिकारी, रुद्रप्रयाग