हल्द्वानी--तीर्थ पुरोहितों को मुआवजे का प्रस्ताव
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग यदि प्रशासन के प्रस्ताव को सरकार ने हरी झंडी दी तो केदारनाथ में मास्टर प्ल
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग
यदि प्रशासन के प्रस्ताव को सरकार ने हरी झंडी दी तो केदारनाथ में मास्टर प्लान लागू करने की राह में आ रही बड़ी अड़चन दूर हो सकती है। प्रशासन ने शासन को केदारनाथ के हकहकूकधारी तीर्थ पुरोहितों को मुआवजा देने का प्रस्ताव भेजा है। इससे वहां निजी भवनों को तोड़ने का रास्ता साफ हो जाएगा।
दरअसल, सरकार केदारपुरी को नए तरीके से बसाना चाहती है। इसके लिए केदारनाथ विकास प्राधिकरण गठन किया गया है। इन दिनों केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य जोरों पर है और अब तक वहां मौजूद 46 सरकारी भवनों को तोड़ा भी जा चुका है। असल समस्या निजी भवनों की है। तीर्थ पुरोहित इन भवनों को तोड़े जाने के खिलाफ हैं। इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ में पैदल मार्ग की चौड़ाई 60 फीट करने पर भी आपत्ति है। वजह यह कि मार्ग की चौड़ाई बढ़ने से निजी भवन भी उसकी जद में आ रहे हैं। इसी गतिरोध के चलते नई केदारपुरी बसाने राह साफ नहीं हो पा रही है।
गतिरोध को दूर करने के लिए प्रशासन ने अब नई रणनीति बनाई है। जिलाधिकारी डॉ. राघव लंगर ने बताया कि प्रशासन ने शासन को प्रस्ताव भेजा है कि केदारनाथ में जिन तीर्थ पुरोहितों की केदारनाथ में भवन या भूमि है उन्हें मुआवजा दिया जाए। केदारनाथ में कुल 217 निजी भवन हैं और तीर्थ पुरोहितों की संख्या तीन सौ के आसपास बताई जा रही है।
जिलाधिकारी के अनुसार कुल तीस हजार वर्ग मीटर भूमि तीर्थ पुराहितों के अधिकार में है। इसके लिए 26 हजार 990 रुपये प्रति वर्ग की दर से मुआवजा देने को प्रस्ताव रखा गया है। अब इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद की आगे की कार्यवाही की जाएगी।
दूसरी ओर तीर्थपुरोहित व केदारनाथ नगर पंचायत सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास पोस्ती का कहना है कि सरकार यदि तीर्थपुरोहितों के हितों में कोई निर्णय लेती है तो उसका स्वागत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम मास्टर प्लान का भी स्वागत करते हैं, लेकिन इसमे तीर्थपुरोहितों की भावनाओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए।