आपदा के साये में चली केदारनाथ यात्रा
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पिछले साल आई आपदा और इस बार का खराब मौसम के भय से इस सीजन में भी कम ही या
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पिछले साल आई आपदा और इस बार का खराब मौसम के भय से इस सीजन में भी कम ही यात्री केदारनाथ आए। यही कारण है कि जहां पहले यात्रियों की संख्या लाखों में होती थी, वहीं इस साल मात्र 40 हजार यात्री ही केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे।
इस वर्ष चार मई 2014 को केदारनाथ के कपाट खुले थे और 25 अक्टूबर को शीतकाल के लिए कपाट बंद हो जाएंगे। पिछले साल आई आपदा का भय इस इस बार भी महसूस किया गया। हालांकि प्रदेश सरकार ने श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए कई प्रयास किए, फिर भी उनके मन से आपदा का भय नही गया।इसका दूसरा कारण यह भी रहा कि सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद यात्रा पड़ावों पर यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं जुटाई जा सकी। इसलिए देश-विदेश से जो यात्री यहां आए भी उनका अन्य यात्रियों में इसका गलत संदेश गया। इस बार स्थानीय लोगों की भागीदारी यात्रा में नहीं थी। सरकारी व्यवस्था पर ही सोनप्रयाग से केदारनाथ तक सरकार ने ही यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं जुटाई थी। सोनप्रयाग से आगे यात्री सीमित संख्या में ही पहुंचे। यात्रा मार्ग से जुडे़ व्यवसायियों के लिए यह सीजन पूरी तरह से फीका साबित हुआ। विगत पांच वर्षो के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो मौजूदा सीजन की स्थिति काफी खराब रही। यात्रा को शुरू करने के लिए भले प्रदेश सरकार ने यात्रा पड़ावों पर अपनी ओर से प्रतिदिन एक हजार यात्रयों के लिए निशुल्क भोजन व रहने की व्यवस्थाएं की थी। इसके बावजूद पूरे सीजन में किसी दिन भी एक हजार यात्री नहीं आए। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि जहां आपदा से पूर्व यात्रा सीजन में प्रतिदिन यात्रियों की संख्या पच्चीस हजार तक पहुंच जाती थी, वहीं इस बार एक हजार भी नहीं पहुंच सकी। केदारनाथ आपदा का असर अन्य तीन धामों पर भी साफ देखा गया। इस वर्ष का यात्रा सीजन शनिवार को समाप्त हो रहा है। इस वर्ष यात्रियों की संख्या अभी तक पचास हजार से ऊपर नहीं पहुंच पाई है, जबकि पिछले वर्ष एक माह चली यात्रा में तीन लाख से ऊपर यात्री बाबा भोले के दर्शन कर चुके थे।
सोनप्रयाग से आगे नहीं बनी सड़क
रुद्रप्रयाग: भले शासन-प्रशासन ने रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग तक हाइवे का सुधारी एवं डामरीकरण तो किया, लेकिन इस बरसात से कई स्थानों पर पुस्ते फिर से धरासायी हो गए। कई स्थानों पर डेंजर जोन भी सक्रिय हो गए। साथ ही कई स्थानों पर आपदा निर्माण कार्य किया जा रहा है। खास बात यह है कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक हाइवे को सुचारु नहीं किया जा सका। केदारनाथ, लिनचोली, रामबाड़ा में यात्रियों के लिए पर्याप्त सुविधाओं का अभाव भी मुख्य कारण रहा।
कई बार रोकी गई यात्रा
केदारनाथ यात्रा को पूरे छह महीने के सीजन में कई बार रोका गया। मौसम व पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने के चलते प्रशासन ने यात्रा पर रोक लगाई। सोनप्रयाग से आगे यात्रियों को नहीं जाने दिया। पूरे सीजन में छह माह के दौरान खराब मौसम के चलते 174 दिन में 24 दिन यात्रा को प्रशासन ने स्थगित किया।
विगत पांच वर्षो की स्थिति-
वर्ष यात्रियों की संख्या
2010 3.99 लाख
2011 5.70 लाख
2012 5.72 लाख
2013 3.10 लाख (एक माह में)
2014 0.40 लाख (21 अक्टूबर तक)
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रोकी गई यात्रा
मई- पांच दिन
जुलाई- 14 दिन
सितंबर- पांच दिन
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आपदा के बाद यात्रियों की संख्या में भारी कमी आई है। परिस्थितियां सामान्य होने पर धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या में इजाफा होगा।
बीडी सिंह
मुख्य कार्याधिकारी, बदरी-केदार मंदिर समिति ऊखीमठ