सिरवाड़ी के ग्रामीणों को विस्थापन का इंतजार
संवाद सूत्र, जखोली: विकास खंड के सिरवाड़ी गांव को पिछले 28 वर्ष से विस्थापन का इंतजार है। विस्थापन न होने से ग्रामीण डर के साए में ही यहां रहने को मजबूर हैं।
वर्ष 1986 में लस्तर नदी में आई के बाद बांगर पट्टी के सिरवाड़ी गांव में भूस्खलन हो गया था। इस दौरान गांव में 14 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक दर्जन मवेशी भी इसकी चपेट में आ गए थे। पंद्रह परिवार बेघर हो गए थे। केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने गांव को भूगर्भीय सर्वे कराया तथा बेघर परिवारों को विस्थापन करने को जरूरी बताया, लेकिन तब से लेकर आज तक गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है। बरसात में पूरा गांव डर के साए में ही जीने को मजबूर है। हल्की बारिश होने पर आज भी यहां के ग्रामीण सहम जाते हैं, और पूरी रात जागकर गुजारते हैं।
गांव के संग्राम सिंह रौथाण कहते हैं कि तबाही होने के बाद केंद्र व राज्य सरकार के कई अधिकारी गांव में पहुंचे, विस्थापन की बात कही लेकिन आज तक विस्थापन नहीं हो पाया है। बलवीर रौथाण ने कहते हैं कि बारिश होने पर आज भी गांव में दहशत का माहौल पैदा हो जाता है। कई बार तो अधिक बारिश होने पर लोग घरों से बाहर आ जाते हैं, और पूरी रात जाग कर ही गुजारते हैं। गांव के दिनेश मैठाणी का कहना है, कि अब तो गांव वालों ने विस्थापन की आस ही छोड़ दी है। अब गांव वाले अपने ही हाल पर जी रहे हैं। गांव के ठीक ऊपर दरार पड़ी है जो कभी भी खतरनाक रूप लेकर गांव में तबाही मचा सकती है।
जिले में विस्थापित होने वाले सभी गांवों का भूगर्भीय सर्वे कराकर रिपोर्ट शासन को भेजी गई है, शासनस्तर पर ही कार्रवाई होनी है।
मीरा कैंतुरा
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी रुद्रप्रयाग