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बर्फ गलाकर पीना पड़ रहा पानी

By Edited By: Published: Thu, 24 Apr 2014 04:13 PM (IST)Updated: Thu, 24 Apr 2014 04:13 PM (IST)
बर्फ गलाकर पीना पड़ रहा पानी

संवार सहयोगी, रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में कई फीट ऊंची जमी बर्फ व्यवस्था जुटाने में प्रशासन के लिए रोड़ा बन रही है। व्यवस्थाओं में जुटे कर्मचारियों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है, बर्फ गलाकर उन्हें पानी पीना पड़ रहा है। ऐसे में कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पडे़गा।

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अप्रैल में भी जमकर हो रही बर्फबारी केदारनाथ यात्रा व्यवस्थाओं को बहाल करने में मुसीबत बन रही है। केदारनाथ में काम में जुटे कर्मचारियों जैसे-तैसे बर्फ में काम कर रहे हैं। प्रशासन को भी काफी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है। वर्तमान में केदारनाथ में मंदिर समिति के कर्मचारी, पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मूलभूत व्यवस्थाएं जुटाने में लगे हैं। लेकिन, इनको पीने का पानी मिलना भी मुश्किल हो रहा है। केदारनाथ में पानी के कई स्रोत हैं, लेकिन सभी स्रोतों पर बर्फ जमी है। उन्हें बर्फ को गलाकर पानी पीना पड़ रहा है। खाना बनाने के लिए भी बर्फ गलाई जा रही है। मौसम काफी ठंडा है, रात्रि को केदारनाथ में तापमान शून्य से नीचे लुढ़क रहा है। यात्रा मई के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाएगी। जबकि, केदारनाथ में यदि मौसम की यही स्थिति बनी रही तो मई मध्य तक स्रोत जमे रहेंगे, जिससे भक्तों को समस्याओं से दो चार होना पड़ेगा।

पेयजल की समस्या को देखते हुए प्रशासन के पास कोई अतिरिक्त व्यवस्था भी नहीं है। फिलहाल मौसम ठीक होने का इंतजार है। मौसम ठीक होने पर स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। हालांकि, अभी केदारनाथ में पेयजल लाइन बिछाने का काम शुरू नहीं हुआ है।

केदारनाथ में ठंड अधिक होने से पीने का पानी बर्फ गलाकर ही मिल रहा है। स्रोत अभी सूखे हुए हैं। मौसम गर्म होने पर ही स्रोत से आपूर्ति शुरू हो जाती है।

अनिल शर्मा

कार्याधिकारी, बदरी-केदार मंदिर समिति

केदारनाथ में अभी पेयजल आपूर्ति का काम शुरू नहीं हुआ है। स्रोत जमे हुए हैं, ऐसे में आपूर्ति में दिक्कतें आएगी। लगातार हो रही बर्फबारी से काफी मुश्किल हो रही है।

सुनीत तिवारी

अधिशासी अभियंता, जल संस्थान रुद्रप्रयाग

केदारनाथ यात्रा में लगे मजदूर

-सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच-363

-गौरीकुंड से भीमबली के बीच-1544

कुल 1907 मजदूर यात्रा व्यवस्थाओं में लगे हुए हैं।


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