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पांच को तुंगनाथ 21 मई को खुलेंगे मद्महेश्वर के कपाट

By Edited By: Published: Mon, 14 Apr 2014 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 14 Apr 2014 06:30 PM (IST)
पांच को तुंगनाथ 21 मई को 
खुलेंगे मद्महेश्वर के कपाट

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: बैसाखी पर्व पर द्वितीय केदार मद्महेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित की गई। 21 मई को मद्महेश्वर और 5 मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट शुभलग्नानुसार श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। उधर बड़कोट में बैशाखी के दिन शनिदेव के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

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सोमवार को बैसाखी पर्व पर पंचाग गणना के अनुसार धर्माधिकारी, वेदपाठी, हक-हकूधारी और पंचगाई के लोगों की मौजूदगी में कपाट खोलने की घोषणा की गई। पंचगद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने की तिथि 21 मई को निर्धारित की गई। 18 मई को ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से भोगमूर्ति सभामंडप में लाई जाएगी, पूजा-अर्चना के बाद ऊखीमठ मंदिर में ही विश्राम करेगी। 19 मई को भगवान की चलविग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान कर रांसी में रात्रि विश्राम करेगी। 20 मई को रांसी से प्रस्थान कर गौंडार और 21 मई को गौंडार से प्रस्थान कर मद्महेश्वर धाम पहुंचेगी। इसी दिन शुभलग्नानुसार सुबह 11 बजे भगवान के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। वहीं, मक्कूमठ केमार्कण्डेय मंदिर में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की कपाट खोलने की तिथि पांच मई को निर्धारित की गई। दो मई को भगवान तुंगनाथ भोगमूर्ति गर्भगृह से सभामंडप में लाई जाएगी, तीन मई को चल विग्रह डोली मुख्य मंदिर से प्रस्थान कर रात्रि विश्राम के लिए भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी। चार मई को भूतनाथ मंदिर से प्रस्थान कर चोपता और पांच मई को चोपता से प्रस्थान कर तुंगनाथ पहुंचेगी। जहां इसी दिन शुभलग्नानुसार सुबह 8.30 बजे भगवान के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इस अवसर पर कार्याधिकारी अनिल शर्मा, प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग,आचार्य हर्ष जमलोकी, यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन, सुरेशानंद मैदुली, गिरीश देवली समेत हक-हकूकधारी, वेदपाठी एवं मंदिर समिति के कर्मचारी मौजूद थे।

बड़कोट : यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से पूर्व बैशाखी के पर्व पर मा यमुना के भाई शनिदेव के कपाट श्रद्धालुओं के लिए विधिवत पूजा अर्चना के बाद खोल दिए गए हैं। प्रत्येक वर्ष भैयादूज के दिन मा यमुना के कपाट बंद होने के बाद ही शनिदेव के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।


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