जर्जर छत के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे
संवाद सूत्र, चोपड़ा: सर्वशिक्षा अभियान के तहत विद्यालय भवन व संसाधन जुटाने का हो-हल्ला जोर-शोर से हो रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके बिल्कुल उलट है। इसकी बानगी है जीर्ण-शीर्ण प्राथमिक विद्यालय गंधारी। जहां बरसात में विद्यालय बंद रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
तल्लानागपुर क्षेत्र के तहत प्राथमिक विद्यालय गंधारी निर्माण वर्ष 1973 में ग्रामीणों ने श्रमदान कर किया था। फिलवक्त विद्यालय की स्थिति जर्जर बनी हुई है। विद्यालय की छत पर लगे तख्ते व बल्लियां सड़ चुकी हैं। वह कभी भी नीचे गिर सकती है। हल्की बारिश में ही विद्यालय का संचालन चुनौती बन जाता है। विद्यालय की हालात खराब होने से अभिलेख संभालना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। बरसात में शिक्षकों को आवश्यक अभिलेख अपने घर ले जाने पड़ते है। शिक्षा विभाग की सुस्ती का आलम यह है कि इतने पुराने विद्यालय की मरम्मत तक के लिए बजट नहीं दिया गया।
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विगत दो वर्षो से विभाग कह रहा है कि विद्यालय के लिए नए स्थल का चयन कर दिया गया है, लेकिन अभी तक बजट नहीं आया। ऐसे में बच्चे जीर्ण-शीर्ण विद्यालय में पढ़ने को मजबूर हैं।
हेमा देवी, अध्यक्ष विद्यालय प्रबंधन समिति
विद्यालय की स्थिति के बारे में विभाग को अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक स्थिति सुधारने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जीतपाल सिंह राणा, प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय गंधारी