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महादेव्यो, नमो देव्यो

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: पहाड़ की ग्रामीण महिला पहाड़ जैसा ही जीवन जीती हैं। इसके बावजूद भी

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 03:46 PM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 03:46 PM (IST)
महादेव्यो, नमो देव्यो
महादेव्यो, नमो देव्यो

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: पहाड़ की ग्रामीण महिला पहाड़ जैसा ही जीवन जीती हैं। इसके बावजूद भी उनको समाज में पुरु ष के बराबर का दर्जा नहीं रहता है। सारा जीवन परिजनों की सेवा में बीत जाता है। अपने लिए उनके पास कोई समय नहीं रहता है। तमाम बंदिशों के बीच जीने वाली पहाड़ की नारी अपनी वेदना को सामने लाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाती है और एक अबला बन कर मशीन की तरह कार्य करती रहती है। इसी महिला समाज में विमला जैसी महिलाएं भी हैं जो इन प्रवंचनाओं को तोड़ कर महिलाओं को सशक्त बनाने में जुटी हैं। महिलाओं को एक मुकाम तक पहुंचाने का संकल्प लेकर मिसाल पेश कर रही हैं।

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तहसील मुनस्यारी के क्वीटी गांव की महिला मंगल दल अध्यक्षा विमला देवी बयाल अन्य ममंद की अध्यक्षों से जुदा हैं। महिला सशक्तीकरण के लिए जुटी विमला देवी मानती हैं कि आर्थिक रू प से कमजोरी ही महिला की सबसे बड़ी कमी रही है। परिवार की आर्थिक विपन्नता का भी सबसे बड़ा खामियाजा उसे ही भुगतना पड़ता है। इसे देखते हुए उन्होंने महिला को स्वावलंबी बनाने के लिए कढ़ाई, सिलाई का निशुल्क प्रशिक्षण चलाया। इसका लाभ दूरदराज की गरीब महिलाओं को मिलने लगा।

क्षेत्र की दर्जनों महिलाएं प्रशिक्षित होकर आर्थिक रू प से सफल होने लगी हैं। उनकी माली हालत में सुधार आ रहा है। समाज में विधवा, निराश्रित और गरीब महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर समाज से जोड़ने की उनकी मुहिम रंग ला चुकी है। समाज में शराब और नशे के कारण महिलाओं का दर्द देखते हुए उन्होंने शराब और नशे के खिलाफ आंदोलन चलाया। महिलाओं के सहयोग से चले इस आंदोलन के कारण आज क्षेत्र में शराब और नशा कर अशांति फैलाने वाले विमला के नाम से ही खौफ खाते हैं।

महिला हिंसा के खिलाफ एक बुलंद आवाज बन चुकी विमला हिंसा की सूचना मिलते ही इसके खिलाफ सड़कों पर उतर जाती हैं। उनकी इस आवाज पर क्षेत्र की महिलाएं उनके सुर में सुर मिला कर पीड़ित महिला को न्याय दिला कर ही दम लेती हैं। तल्ला जोहार क्षेत्र में महिलाओं को संगठित कर महिला दलों का गठन कर चुकी हैं। विमला देवी कहती हैं कि वह आम पहाड़ी महिला है। सदियों से पर्वतीय समाज की रीढ़ मानी जाने वाली महिलाएं सामाजिक ,आर्थिक रू प से पिछड़ी रह चुकी हैं। काम के बोझ के चलते महिलाओं को अपनी शक्ति का तक अहसास नहीं होता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण महिलाओं का स्वावलंबी नहीं हो पाना रहा है। जब तक महिला आर्थिक रू प से आत्मनिर्भर नहीं बनेंगी तब तक उनकी दशा में सुधार नहीं आ सकता है। इसके लिए महिलाओं को ही आगे आना होगा।


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