पंद्रह हजार फीट की ऊंचाई पर होंगे जनेऊ संस्कार
संवाद सूत्र, बरम : समुद्र तल से लगभग साढ़े पंद्रह हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले रमणीय स्थल छिपलाके
संवाद सूत्र, बरम : समुद्र तल से लगभग साढ़े पंद्रह हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले रमणीय स्थल छिपलाकेदार में दो अक्टूबर को किशोरों के उपनयन संस्कार होंगे। इस अवसर पर इस ऊंचाई पर स्थित पवित्र भैमण कुंड में पवित्र स्नान होगा।
गोरी, काली और धौली नदी से घिरी छिपलाकोट पवर्तमाला को अर्द्ध कैलास की संज्ञा मिली है। कैलास मानसरोवर नहीं जा पाने वाले भक्त यदि छिपलाकेदार की यात्रा पूरी करे तो उसे कैलास मानसरोवर के दर्शनों जैसे ही पुण्य मिलते हैं। छिपलाकेदार की यात्रा अति दुर्गम यात्रा मानी जाती है। प्रति तीसरे वर्ष छिपलाकेदार की यात्रा होती है। यह पहला ऐसा तीर्थ है जहां भादो माह में किशोरों का उपनयन संस्कार होते हैं। यह यात्रा गोरीछाल के बरम और काली और धौली छाल के राथी, स्यांकुरी, खेत, खेला, गर्गुवा से होती है।
छिपलाकेदार की चोटी तक होने वाली यह यात्रा पूरी तरह पैदल होती है। अति कठोर और बंदिशों के साथ होने वाली इस यात्रा में भक्त जन नब्बे डिग्री के कोण में खड़ी पहाड़ियों को नंगे पांव पार कर छिपलाकोट पहुंचते हैं। छिपलाकोट यात्रा में भक्त जन एक दिन गुफा में निवास करते हैं। जहां से कठिन यात्रा प्रारंभ होती है। इस यात्रा में किशारों की संख्या काफी अधिक होती है। जिनका छिपलाकोट में उपनयन संस्कार किया जाता है। भक्तजन दो दिन की कठोर पैदल यात्रा कर भूखे, प्यासे छिपलाकोट दोपहर को छिपलाकोट पहुंचते हैं। दिन में यहां पर पूजा अर्चना कर जनेऊ संस्कार किए जाते हैं। दो से तीन घंटे की पूजा के बाद भक्तजन लौटते हैं।
इस बार छिपलाकोट यात्रा 30 सितंबर से प्रारंभ हो रही है। उस दिन भक्त बरम से कनार गांव तक 16 किमी की पैदल यात्रा करेंगे। एक अक्टूबर को भैमन कुंड पहुंचेंगे। दो को छिपलाकोट में स्नान और उपनयन संस्कार कर भक्तजन भैमन में रात्रि विश्राम कर तीन अक्टूबर को कनार पहुंचेंगे।
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जैव विविधता से भरा है छिपलाकोट
हिमालय में छिपलाकोट जैव विविधता और और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। जानकार बताते हैं कि हिमालय में छिपलाकोट से सुंदर अन्य स्थल नहीं हैं। इस ऊंचाई पर यहां पर जलकुंड हैं। छिपलाकोट पहुंचने के लिए भक्तों को बर्फ से गुजरना पड़ता है। छिपलाकोट में सर्वाधिक ब्रह्माकमल हैं। कई किमी तक ब्रह्माकमल खिले रहते हैं।