अधर में लटका चम्पावत का सुनियोजित विकास
संवाद सहयोगी, चम्पावत : जनपद गठन के 20 साल बाद भी मुख्यालय में मास्टर प्लान लागू नहीं हो पाया है। ज
संवाद सहयोगी, चम्पावत : जनपद गठन के 20 साल बाद भी मुख्यालय में मास्टर प्लान लागू नहीं हो पाया है। जिससे आए दिन हो रहे बेतरतीब निर्माण के कारण तमाम तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं। नगर सीमेंट कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है। शुरुआती दौर में तत्कालीन जिलाधिकारी ने मास्टर प्लान की पहल की थी, लेकिन अब यह मामला ठंडे बस्ते में है। विधानसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा प्रमुखता से उठने वाला है।
15 सितंबर 1997 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने चम्पावत जनपद का गठन किया। तब से जिले के सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान की आवाज उठने लगी। जिले के पहले तत्कालीन जिलाधिकारी नवीन चंद्र शर्मा ने इसके लिए पहल की। बकायदा विनोयोजित क्षेत्र के तहत दफ्तर, आवास, विद्यालय, उद्योग, बाजार आदि स्थानों का निर्धारण करते हुए शासन को पत्राचार किया। लेकिन, इस पर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते मामला आगे नहीं बढ़ पाया। राज्य गठन के बाद जब पहला चुनाव हुआ तो कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई। तत्कालीन नगर विकास मंत्री नवप्रभात ने जरूर इसके लिए पहल की और सेटेलाइट सर्वे के माध्यम से इसका खाका भी तैयार करवाया। लेकिन, उसके बाद इस मसले पर सार्थक कार्रवाही नहीं हो पाई। वर्तमान में नगर की आबादी लगातार बढ़ रही है। दस साल पहले जहां आबादी ढाई हजार थी, जो अब दस हजार पार है। साथ ही इसे 2014 में नगर पालिका का दर्जा भी दे दिया गया है। पहली नगर पालिका का गठन तीन वर्ष पूर्व हो चुका है, लेकिन मास्टर प्लान को लागू करने के लिए ठोस पहल नहीं की गई है। हां, एक बार जरूर प्रदेश के तत्कालीन शहरी सचिव ने कलक्ट्रेट में बैठक कर मास्टर प्लान का खाका तैयार किया था। लेकिन तब से मामला आगे नहीं बढ़ पाया है और लोग मास्टर प्लान का इंतजार कर रहे हैं।
विधानसभा चुनावों में पालिका क्षेत्र में रहने वाले लोग मास्टर प्लान का मुद्दा प्रमुखता से उठाने वाले हैं। लोगों का कहना है कि मास्टर प्लान लागू न होने के कारण शहर बेतरतीब तरीके से बढ़ रहा है। अनियोजित विकास होने से तमाम दुश्वारियां बढ़ रही हैं। कई स्थानों पर रास्ते और गलियां सकरीं होने से लोगों ेको आवाजाही में भी दिक्कत होने लगी है। पालिका की ढांचागत नीति न होने से शहर का विकास उस तरह से नहीं हो पा रहा है, जैसा होना चाहिए था। लोगों ने अब मन बनाया है कि विधानसभा चुनाव में वोट मांगने आने वाले प्रत्याशियों के सामने वह मास्टर प्लान का सवाल जरूर रखेंगे।
विनियमित क्षेत्र में यह हैं शामिल
- खर्ककार्की
- चौड़ासेठी
- जूप पटवा
- शक्तिपुर
- कनलगांव
- मल्ली मादली
- माजगांव
- तल्ली मादली
- पुनेठी
- कुलेठी
- डुंगरासेठी
- डडा बिष्ट
- ढकना
- नघान
- पल्सों
मास्टर प्लान को लेकर अभी ठोस कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई है। इसके लिए शासन से पत्राचार कर मास्टर प्लान लागू करने को लेकर अनुरोध किया जाएगा। विनियमित क्षेत्र के जरिए शहर के सुनियोजित विकास को लेकर ही कार्य किया जा रहा है। मास्टर प्लान लागू होने के बाद शहर का बेहतर खाका तैयार किया जाएगा और ढांचागत नीति के अनुरूप ही पूर्व में कार्यो का चयन होगा।
- अभिनव कुमार, ईओ, नगर पालिका चम्पावत।