चुनाव बहिष्कार तक किया, फिर भी नहीं मिली सड़क
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: चुनाव में मतदान बहिष्कार के बाद भी राजनैतिक दल उनकी समस्याओं पर तवज्ज
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: चुनाव में मतदान बहिष्कार के बाद भी राजनैतिक दल उनकी समस्याओं पर तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले की सीमा पर नामिक ग्लेशियर की तलहटी पर आठ हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित गांव है नामिक। इस गांव का दर्द यह है कि ग्रामीणों को अपनी तहसील मुख्यालय मुनस्यारी आने के लिए 27 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है। व्यवस्था ऐसी है कि नामिक के लिए सड़क बला से नहीं अपितु बागेश्वर के कपकोट के गोगिना से बन रही है। अलबत्त्ता अभी तक बागेश्वर जिले में भी गांव से सड़क की दूरी सात किमी है। गांव के सारे सम्पर्क और संबंध अपने जिले से हैं परंतु अपने जिले में आने के लिए 27 किमी पैदल दूरी नापनी पड़ती है । इसके बाद जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ पहुंचने के लिए सौ किमी और तहसील मुख्यालय मुनस्यारी पहुंचने के लिए 38 किमी वाहन का सफर करना पड़ता है।
इस गांव के ग्रामीण पूर्व में सड़क को लेकर मतदान का बहिष्कार भी कर चुके हैं। बाद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व प्रदेश के मुखिया हरीश रावत ने किया। हरीश रावत हेलीकॉप्टर से गांव पहुंचे। गांव के लिए सड़क भी स्वीकृत हुई परंतु ग्रामीणों की मांग के अनुरूप थल-मुनस्यारी मार्ग पर द्वालीगाड़ से सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है। इधर गंगोलीहाट के चामाचौड़, धारचूला के होकरा, डीडीहाट के कूटा जमतड़ी के लोगों ने भी इस बार चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी थी। तीनों स्थानों पर सड़क को लेकर नाराजगी थी।
चुनाव बहिष्कार की चेतावनी के तीन माह बीत चुके हैं। इसके बाद भी न तो किसी राजनैतिक दल और नहीं प्रशासन ने इस पर कोई सुध नहीं ली है। राजनैतिक विचारक बताते हैं कि पूर्व में जब कभी भी चुनाव बहिष्कार की धमकी मिलती थी तो राजनैतिक दलों सहित प्रशासन के अधिकारी नाराज लोगों को मनाने पहुंचते थे। अब बहिष्कार की चेतावनी को अनसुना किया जा रहा है।