टपकती छत और दरार वाली दीवार डरा रही
संवाद सूत्र, थल : लोगों के निजी मकान पीढि़यों तक सुरक्षित रहते हैं परंतु सरकारी विद्यालयों के भवन 20
संवाद सूत्र, थल : लोगों के निजी मकान पीढि़यों तक सुरक्षित रहते हैं परंतु सरकारी विद्यालयों के भवन 20 -30 वर्षाें में ही क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह सोचनीय प्रश्न है। ऐसा ही एक विद्यालय तहसील डीडीहाट का राजकीय प्राथमिक विद्यालय तुर्गाेली है। 34 वर्ष पूर्व बना यह भवन गिरने के कगार पर पहुंच चुका है। भवन की छत टपकती है तो दीवारों में आई दरारें डराती हैं। मौसम खराब होते ही शिक्षक और विद्यार्थी कक्षा कक्ष छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के इस विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या मात्र 17 रह चुकी है। इसके अलावा इसी विद्यालय में आंगनबाड़ी केंद्र भी चलता है। मौसम के हल्का खराब होते ही विद्यालय बंद करना पड़ता है। वर्ष 1982 में बने इस भवन में एक दशक पूर्व से ही दीवारों में दरारें पड़ने लगी थीं। इसकी शिकायत करने के बाद भी विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। बाद ंमें इस क्षेत्र में हुई भारी वर्षा से भवन को क्षति पहुंचती रही। जिसके चलते अब भवन बेहद दयनीय स्थिति पर पहुंच चुका है।
वर्तमान में हालात यह हैं कि पूरे बरसात भर में कक्षाएं बरामदे में चलती हैं। विद्यालय चलने के दौरान मौसम खराब होते ही विद्यालय बंद करना पड़ता है। जिसके चलते जून से लेकर सितंबर तक कई दिन विद्यालय में पठन पाठन प्रभावित रहता है। अभिभावक भी बताते हैं कि जिस दिन मौसम खराब होता है बच्चों को विद्यालय भेजने में भय लगता है। इस संबंध में अभिभावक कई बार विभाग और प्रशासन को जानकारी दे चुके हैं परंतु विगत 10 वर्षों से क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत के अभी तक प्रयास शुरू नहीं हुए हैं। इस कारण अभिभावक नाराज हैं और कई अभिभावक अपने बच्चों को यहां से हटाकर दूसरे विद्यालयों में प्रवेश दिला चुके हैं।
-विगत दस वर्षों से ग्राम पंचायत स्तर से विद्यालय भवन मरम्मत के प्रस्ताव पारित होकर क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत को भेजे जाते रहे हैं। गांव की खुली बैठक में इस मुद्दे पर प्रमुखता के साथ चर्चा होती है। भवन को लेकर ग्रामीण रोष जताते हैं , विभाग केवल आश्वासन देता है।
-राधा देवी, ग्राम प्रधान तुर्गोली
-विद्यालय भवन दयनीय हालत में है। इस संबंध में विभाग और प्रशासन को लगातार पत्र व्यवहार किया जा रहा है। मौसम खराब होने पर विद्यालय में या तो अवकाश करना पड़ता है। जिससे पठन पाठन प्रभावित हो रहा है। विद्यालय भवन की मरम्मत के प्रस्ताव भी तैयार हैं।
-भूपाल सिंह कार्की , प्रधानाध्यापक राप्रावि तुर्गोली