ओली सा कब बनेगा खलियाटॉप
मुनस्यारी : उत्तराखंड में प्रकृति प्रदत्त उपहारों का उपयोग भी सरकारें नहीं कर पा रही हैं। इन उपहारों
मुनस्यारी : उत्तराखंड में प्रकृति प्रदत्त उपहारों का उपयोग भी सरकारें नहीं कर पा रही हैं। इन उपहारों का उपयोग करने में सरकार जरा सी दिलचस्पी ले तो राज्य में पर्यटन व्यवसाय को नई ऊंचाई देने के साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो सकते हैं। ऐसे ही उपहारों में शामिल है मुनस्यारी का बेटुलीधार और खलियाटॉप। ये दोनों मैदान विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल ओली से कहीं कम नहीं हैं। बावजूद इसके इन दोनों स्थानों में बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है।
हिमनगरी के नाम से विख्यात मुनस्यारी समुद्रतल से सात हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित है और इस कस्बे से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है खलियाटॉप। इसकी ऊंचाई आठ हजार फिट है। दिसंबर माह में ही यहां हिमपात हो जाता है और मार्च तक स्कीइंग के लिए पर्याप्त बर्फ रहती है। खलियाटॉप के समीप ही बेटुलीधार में भी स्कीइंग की अच्छी संभावनाएं हैं। वर्ष 1990 में ओली के स्कीइंग विशेषज्ञों ने इन दोनों स्थलों की पहचान कर इन्हें स्कीइंग स्थल के रूप में विकसित करने की सिफारिश की थी। तत्कालीन पर्यटन सचिव सुरेंद्र सिंह पांगती ने इसके विकास का खाका खींचते हुए कहा था भविष्य में यह ओली से भी बेहतर स्कीइंग स्थल हो सकता है। यूपी सरकार ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उत्तराखंड राज्य बना तो मुनस्यारी के लोगों में उम्मीद जगी। उम्मीद थी कि बेटुलीधार और खलियाटॉप को स्कीइंग के जरिए नई पहचान मिलेगी, लेकिन यह उम्मीद भी पिछले 14 वर्षो में पूरी नहीं हो पाई है।
राज्य गठन के बाद कुमाऊं मंडल विकास निगम हर वर्ष यहां स्कीइंग के प्रशिक्षण आयोजित करता है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ ही बाहर से आने वाले पर्यटक भी भागीदारी करते हैं। इन दिनों मुम्बई से पहुंचे आनंद कुमार का कहना है कि पहाड़ में स्कीइंग के लिए इससे बढि़या जगह दूसरी नहीं है। सरकार थोड़ी सी सुविधाएं दे और प्रचार प्रसार करे तो निजी उद्यमी खुद यहां आकर स्कीइंग कराने को तैयार हो जाएंगे।
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ये है जरूरत
1. बेटुलीधार का समतलीकरण
2. मैदान तक सड़क मार्ग का निर्माण
3. डांडाधार से मर्तोली थोड़ तक रोप वे निर्माण
4. स्कीइंग के जरूरी उपकरण
5. राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं