मूसलाधार बारिश से नदियां उफनीं
जाब्यू, पिथौरागढ़ : 36 घंटों से हो रही मूसलाधार वर्षा से सीमांत जिले के सीमांत क्षेत्र में जनजीवन अस्त व्यस्त हो चला है। हिमनदों से निकलने वाली काली, गोरी, धौली, मंदाकिनी और रामगंगा नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। सभी नदियों के किनारे स्थित बस्तियों को अलर्ट कर दिया गया है। कुछ स्थान पर ग्रामीण गांव छोड़ चुके हैं।
पिथौरागढ़ जिले में पिछले 36 घंटों से लगातार वर्षा जारी है। उच्च हिमालयी भू भाग में वर्षा का दौर निचले स्थानों से अधिक है। फलस्वरूप वहां पर वर्षा से सीजनल ग्लेशियरों के पिघलने और वर्षा के चलते ग्लेशियरों से निकलने वाली काली नदी, गोरीगंगा, धौलीगंगा, मंदाकिनी और रामगंगा उफान पर पहुंच चुकी हैं। धारचूला से लेकर झूलाघाट तक काली नदी रौद्र रूप धारण कर चुकी है। जौलजीवी में गोरी नदी का पानी बस्ती तक पहुंच चुका है। गोरी नदी का पानी बचाव के लिए बनी लगभग 15 फिट ऊंची दीवार पार कर बस्ती तक पहुंच चुका है। कई घरों में पानी घुसने लगा है। कई लोगों ने घर छोड़ दिए हैं। बस्ती में दहशत का माहौल है।
मदकोट में गोरी नदी के उफान पर आने के कारण एनएचपीसी द्वारा गोरीगंगा परियोजना के लिए नदी किनारे से पंद्रह फिट ऊंचाई पर स्थापित प्लेटफार्म पर रखीं मशीनें पानी में डूब चुकी हैं। नदी किनारे टेंट बह चुके हैं। फगुवाबगड़ के पास गोरी नदी ने दस मीटर मार्ग लील लिया है। नदी अब सड़क से लगभग दस फीट ऊपर तक बह रही है। मल्ला मदकोट के दो दर्जन परिवार नदी द्वारा किए जा रहे कटाव को देखते घर छोड़ चुके हैं। बंसतकोट के पास झूला पुल बह चुका है। गोरी नदी का बहाव भदेली की तरफ होने से भदेली गांव को खतरा पैदा हो गया है। सेराघाट में ग्रिफ द्वारा निर्माणाधीन पुल तक नदी का पानी पहुंच चुका है। उधर गर्जिया नामक स्थान पर झूलापुल तक पानी पहुंच चुका है।
धारचूला की दारमा घाटी में धौलीगंगा नदी विकराल रूप ले चुकी है। दारमा मार्ग में तीन पुल बह गए हैं। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग एवं नारायणआश्रम मार्ग पर कंचौती मोटर पुल खतरे में आ चुका है। यहां पर रहने वाले परिवारों ने मकान छोड़ दिए हैं। दारमा घाटी में धौली नदी पर बने तीन पुल बह चुके हैं। नामिक ग्लेशियर से निकलने वाली रामगंगा नदी भी ऊफान पर है। नदी में कई मृत जानवर बहते नजर आए। नदियों का पानी पूरी तरफ मटमैला हो चुका है। झूलाघाट में भी काली नदी का विकराल रूप देखने को मिल रहा है।
उल्लेखनीय है भारी वर्षा के बाद अभी तक बरसाती नदी नालों का जल स्तर नहीं बढ़ा है, मात्र उच्च हिमालयी क्षेत्र से निकलने वाली नदियां ही ऊफान पर हैं। जानकारों का मानना है इस बार भारी हिमपात के चलते अभी तक ग्लेशियर पूरी तरह नहीं पिघले थे। इधर वर्षा के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है।
===== इनसेट
बारिश से दिखा भयावह मंजर
= 36 घंटों से हो रही मूसलाधार वर्षा से जनजीवन अस्त व्यस्त
= गोरीगंगा परियोजना की कई मशीनें पानी में डूबीं
= मल्ला मदकोट में दो दर्जन परिवारों ने दहशत में घर छोड़ा
= दारमा घाटी में धौली नदी पर बने तीन पुल बहे
= रामगंगा नदी में कई मृत जानवर बहते नजर आए
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