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नहीं लग पाए सपनों को पंख

By Edited By: Published: Fri, 29 Aug 2014 04:34 PM (IST)Updated: Fri, 29 Aug 2014 04:34 PM (IST)
नहीं लग पाए सपनों को पंख

जागरण संवाददाता, कोटद्वार :

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सपना तो था कि घर में ही डेयरी व्यवसाय शुरू कर अपने परिवार की आर्थिकी को मजबूत किया जा सके, लेकिन सरकार की नीतियों ने सपनों को 'पंख' लगने से पहले ही कतर दिया।

हम बात कर रहे हैं उन महिला स्वयं सहायता समूहों की, जिन्होंने स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत वर्ष 2012 में डेयरी उद्योग के नाम पर ऋण लिए। सरकार ने इन स्वयं सहायता समूहों को अनुदान की प्रथम किश्त तो अवमुक्त कर दी, लेकिन द्वितीय किश्त जारी करने से इंकार कर दिया। नतीजा, जिस डेयरी की बदौलत महिलाओं को आर्थिकी मजबूत करनी थी, आज वहीं डेयरी उनके लिए बड़ा संकट बन गई है। ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगारों के साथ ही ग्रामीण महिलाओं को घर बैठे रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से चलाई गई स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत लिए गए ऋण अब लाभार्थियों के गले पड़े गए हैं। दरअसल, केंद्र की ओर से हाल ही में शुरू किए गए 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' के कारण स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के लाभार्थियों को उस ऋण पर अनुदान मिलना बंद हो गया है। जो उन्होंने रोजगार के लिए बैंकों के माध्यम से लिया था।

यहां हो रही समस्या

दरअसल, योजना के तहत डेयरी व्यवसाय के लिए ऋण लेने वाले लाभार्थियों को अनुदान का लाभ दो किश्तों में दिए जाने का प्रावधान है। वर्ष 2012 में क्षेत्र के 40 महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 240 महिलाओं ने योजना के तहत डेयरी व्यवसाय के लिए ऋण लिया। लाभार्थियों को अनुदान की प्रथम किश्त का भुगतान शुरू में ही कर दिया गया, लेकिन द्वितीय किश्त का भुगतान अभी तक नहीं किया गया। स्वयं सहायता समूहों को स्पष्ट कर दिया गया है कि योजना बंद हो चुकी है। इस कारण अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता। नतीजा, महिलाओं को बैंक की किश्तें भरना तक भारी पड़ रहा है। हालात यह हैं कि जिस व्यवसाय से घर की आर्थिकी चलती थी। आज व्यवसाय से मिली धनराशि बैंकों की भेंट चढ़ रही है।

सरकार नई योजनाएं भले ही लागू करे, लेकिन पूर्व से चली आ रही योजनाओं का लाभार्थियों पर नई योजना से कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इस दौरान महिलाओं ने ऋण लिया, उस दौरान प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना लागू नहीं थी। ऐसे में सरकार को अविलंब लाभार्थियों को द्वितीय किश्त का भुगतान करना चाहिए।

आभा डबराल, अध्यक्ष, राइट संस्था

योजना बंद होने के कारण महिलाओं को द्वितीय किश्त का भुगतान नहीं हो पाया। जो महिलाएं स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के लाभ से वंचित रह गई हैं, उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ लाभ दिया जाएगा।

हरिसुधा रावत, खंड विकास अधिकारी, दुगड्डा


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