मंडल में संकटग्रस्त शिक्षा के मंदिर
जागरण संवाददाता, पौड़ी: सरकार वर्ष भर सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए घोषणाएं तो बहुत करती है पर इनका परिणाम शायद ही कुछ आ पाता है। इसका प्रमाण है मंडल के सरकारी स्कूलों में घटती छात्रों की संख्या। स्थिति यह है कि एक हजार से भी अधिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या दस से भी कम है। आंकड़ों की यह स्थिति तब है कि जब विभाग की ओर से हर माह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होते हैं और पैसा भी खुले हाथों से लुटाया जाता है।
शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो तस्वीर काफी भयावह है। सबसे ज्यादा बदहाल स्थिति प्राथमिक विद्यालयों की बनी हुई है। गढ़वाल मंडल के विभिन्न जनपदों में करीब 922 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। कमोवेश ऐसा ही कुछ हाल जूनियर विद्यालयों का भी है। गढ़वाल मंडल में 129 जूनियर विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। खास बात यह है कि सरकारी विद्यालयों में यह स्थिति तब देखने को मिल रही है, जबकि सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील, निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण जैसी न जाने कितनी योजनाएं सरकार शिक्षा का स्तर और छात्र संख्या बढ़ाने के लिए संचालित कर रही है। चिंता की बात यह है कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का यही हाल आगे भी रहा तो इनमें से कई विद्यालयों में ताले लटक जाएंगे, इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता।
जनपदवार दस से कम छात्र वाले प्राथमिक विद्यालय:
पौड़ी-446, रुद्रप्रयाग-87, चमोली-156, उत्तरकाशी-93, टिहरी-67, देहरादून-73
दस से कम छात्र संख्या वाले जूनियर विद्यालय:
पौड़ी-27, रुद्रप्रयाग-16, चमोली-15, उत्तरकाशी-22, टिहरी-21, देहरादून-28
पहाड़ों से पलायन होने व प्रत्येक किलोमीटर पर स्कूल खुलने से भी सरकारी विद्यालयों की छात्र संख्या में गिरावट आ रही। जहां तक दस से कम छात्र संख्या वाले विद्यालय हैं उन पर छात्र हित में ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
आरपी उनियाल, अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक, गढ़वाल मंडल पौड़ी।