जिला निर्माण : चंद दिन का इंतजार!
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : चंद दिन का और इंतजार। राजनीतिक गलियारों से छन कर आ रही चर्चाओं पर भरोसा करें तो इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर क्षेत्र की जनता को कोटद्वार जिले की सौगात मिल सकती है।
प्रदेश सरकार इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कोटद्वार क्षेत्र की जनता को 'जिले' की सौगात दे सकती है। चर्चा यह भी है कि इस मर्तबा न सिर्फ जिले की घोषणा की जाएगी, बल्कि एक सप्ताह के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक की भी तैनाती कर दी जाएगी।
बताते चलें कि 15 अगस्त 2011 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कोटद्वार को जिला बनाने की घोषणा तो की, लेकिन इस संबंध में न तो अधिसूचना जारी हुई और न ही अधिकारियों की तैनाती की गई। सत्ता परिवर्तन हुआ तो पूरा मामला ठंडे बस्ते में पहुंच गया। अब एक बार फिर कोटद्वार जिला निर्माण को लेकर शासन स्तर में हुई हलचल के बाद क्षेत्र में जिला निर्माण की चर्चाएं काफी गर्म हैं। राजनीतिक गलियारों तक पकड़ रखने वाले कई दिग्गज इस बात की पुष्टि भी कर रहे हैं।
जिला निर्माण : एक नजर
कोटद्वार जिला निर्माण की मांग कोई पुरानी नहीं है। जिला निर्माण की मांग सर्वप्रथम पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की ओर से उठी। हालांकि, स्व.गढ़वाली कोटद्वार से लगे घाड़ क्षेत्र में स्थित भरत नगर को जिला बनाने की मांग कर रहे थे। मकसद साफ था, जिला बनने के बाद न सिर्फ भरतनगर का विकास होता, बल्कि पूरे कोटद्वार क्षेत्र में विकास की नई किरण जगती। स्व.गढ़वाली के देहावसन के बाद जनता की मांग ठंडे बस्ते में पहुंच गई। जनता जिला निर्माण को भूल ही चुकी थी, लेकिन अस्सी के दशक में अधिवक्ताओं व छात्रों ने कोटद्वार जिला निर्माण की मांग उठानी शुरू कर दी। यह मांग 1997-98 में उस वक्त प्रबल हो गई, जब अधिवक्ताओं के साथ ही विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने यह तहसील परिसर में अनशन शुरू कर दिया। 68 दिनों तक चले इस अनशन कार्यक्रम का असर यह रहा कि उत्तर प्रदेश शासन ने इस अनशन की सुध लेते हुए तत्कालीन उपजिलाधिकारी कै.सुशील कुमार को कोटद्वार जिले का ब्लू प्रिंट तैयार करने के निर्देश दे दिए। ब्लू प्रिंट शासन को भेज दिया गया, लेकिन जिले की घोषणा से पूर्व ही उत्तराखंड राज्य का गठन हो गया। जनता के लंबे संघर्षो का ही परिणाम कहा जाए कि शासन स्तर पर कोटद्वार जिला निर्माण की कवायद जोरों पर है।