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अस्पताल प्रशासन खुले में डलवा रहा है मानव अंग

पौड़ी में बायोमेडिकल वेस्ट को एकत्र करने के लिए बनाया गया गड्ढा क्षतिग्रस्त हो गया। ऐसे में अस्पताल प्रशासन खुले में ही इस कचरे को फेंक रहा है। कचरे में मानव अंग भी हैं।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 28 Nov 2017 12:14 PM (IST)Updated: Tue, 28 Nov 2017 10:47 PM (IST)
अस्पताल प्रशासन खुले में डलवा रहा है मानव अंग
अस्पताल प्रशासन खुले में डलवा रहा है मानव अंग

पौड़ी, [जेएनएन]: जिला चिकित्सालय पौड़ी का डीप वरियल पिट भू-धंसाव से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। चिकित्सालय प्रशासन के कचरे को इटीसी गदेरे में गिराए जाने के कारण बेजुबानों की जान को खतरा बना है। जिला चिकित्सालय पौड़ी के सामने बायो मेडिकल कचरे को निस्तारित करने के लिए डीप वरियल पिट बनाया गया है। इसमें चिकित्सालय के हर प्रकार का कचरा निस्तारित किया जाता है। भू-धंसाव के चलते पिट बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। 

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इसके चलते चिकित्सालय प्रशासन ने बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण को चिकित्सालय के मुख्य भवन के पीछे वैकल्पिक पिट तैयार किया है। जिसमें चिकित्सालय के हर प्रकार का कूड़ा एकत्र किया जाता है। जिसे समय-समय पर ट्रक के माध्यम से निस्तारित किया जाता है। 

उत्तराखंड जनजागृति मंच के संयोजक धर्मवीर सिंह रावत ने कहा कि चिकित्सालय में सामान्य, मानव अंग, प्लास्टिक कूड़ा निकलता है। जिन्हें अलग-अलग निस्तारित किया जाना चाहिए। चिकित्सालय प्रशासन कचरे को एक साथ एकत्र कर खुले में गिरा रहा है। उन्होंने कहा कि बायो मेडिकल कचरे के खुले में गिरने से आवारा जानवर व पक्षी उसे खा रहे हैं। इससे उनके जीवन को खतरा बना है।  

सीएमएस डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि डीप वरियल पिट के भू-धंसाव में क्षतिग्रस्त होने से वैकल्पिक पिट में बायो मेडिकल कचरा एकत्र कर निस्तारित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिट के भर जाने पर ट्रक के माध्यम से कचरे को निस्तारित किया जाता है। 

ये होता है बायो मेडिकल कचरा

जिला चिकित्सालय में सामान्य कूड़े के साथ ही विभिन्न प्रकार का कचरा एकत्र होता है। जिसे चिकित्सा भाषा में बायो मेडिकल कचरा कहा जाता है। चिकित्सालय में हरे रंग के कूड़ेदान में सामान्य कूड़ा, फलों के छिलके, नीले कूड़ेदान में कांच, शल्य चिकित्सा में उपयोग आने वाली ब्लेडें, इंजेक्शन, पीले कूड़ेदान में शल्य चिकित्सा में कटे मानव अंग, लाल में प्लास्टिक का कूड़ा अलग-अलग एकत्र किया जाता है। जिसे डीप वरियल पिट में अलग-अलग ही निस्तारित भी किया जाता है। 

इन बीमारियों के चपेट में आ सकते है जानवर

चिकित्सालय का बायो मेडिकल कचरा खाने से जानवर अनेक बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। वहीं लगातार सेवन से जानवरों की जान भी जा सकती है। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि बायो मेडिकल कचरा खुले में निस्तारित किए जाने से जानवर उसका सेवन कर लेते हैं। जिसके वह आंत्र शोध, कब्ज, उल्टी दस्त, ड्रोमेट्रिक रेटीकुलाइटिस आदि बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि बायो मेडिकल कचरे के लगातार सेवन से जानवरों की जान भी जा सकती है।

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