कचरे को निस्तारण का इंतजार
संवाद सहयोगी, पौड़ी: मंडल मुख्यालय में कचरा निस्तारण के मामले में सबसे बड़ी कमी इच्छाशक्ति की है। संबं
संवाद सहयोगी, पौड़ी: मंडल मुख्यालय में कचरा निस्तारण के मामले में सबसे बड़ी कमी इच्छाशक्ति की है। संबंधित विभाग कचरे की समस्या के समाधान की बजाये इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में लगे हैं। नतीजतन गंदगी की समस्या गंभीर होती जा रही है।
पूर्व में शहर के ही एक किनारे सीएमओ कार्यालय के निकट की भूमि पर कचरा निस्तारण की व्यवस्था थी। स्थानीय लोगों के विरोध के कारण नगर पालिका ने वहां कचरा फेंकना बंद कर दिया। तब से बारह वर्ष से भी अधिक समय बीत गया है। शहर में कचरा निस्तारण की व्यवस्था नहीं हो पाई है। नगर पालिका के सामने जैसे तैसे या यूं कहें कि चोरी-छिपे कचरा निस्तारण की मजबूरी बनी है। निस्तारण की समुचित व्यवस्था न होने से सड़कों की चौड़ाई वाली जगह कचरे से पटी है। यह तय है कि कहीं न कहीं इन हालातों के लिए व्यवस्थाएं ही जिम्मेदार हैं।
जंगल में फेंकते रहे कचरा
मांडाखाल के जंगलों में करीब सात वर्षों तक लगातार शहर का गिरता रहा। और वह भी बेरोकटोक। इस अवधि में कभी भी कहीं से कोई विरोध के स्वर नहीं उठे। यदि इसी दौरान ट्रैचिंग ग्राउंड के प्रयास होते तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ते। जिस क्षेत्र में वर्षो तक कचरा गिरा वहां ग्राउंड को आसानी से बनाया जा सकता था। अब सभी जगहों से लोग मुखर हैं। तब मांडाखाल से भी विरोध होना स्वाभाविक है।
हवाई ही रही बैठकें
शहर में ट्रैचिंग ग्राउंड की व्यवस्था न होने के लिए पालिका और प्रशासन की लापरवाही दोनों ही बराबर की जिम्मेदार मानी जा रही है। बैठकों में घंटों चर्चा के बाद योजना तो बनती है लेकिन हर बार बात आई-गई सी हो जाती है। साफ है कि दोनों जिम्मेदार महकमों में काम करने की इच्छाशक्ति का अभाव है, जो योजना को धरातल पर उतारने में रोड़ा बना।
'ट्रैचिंग ग्राउंड के लिए सार्थक प्रयास न होने से ही यह दिक्कतें हो रही हैं। सफाई व्यवस्था के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। बीच में कई दिक्कतें आई लेकिन अब ट्रैचिंग ग्राउंड के लिए भी भूमि फाइनल हो चुकी है। जल्द समाधान की उम्मीद है।'
यशपाल बेनाम, अध्यक्ष, नगर पालिका पौड़ी