कक्षाओं से निर्धारित होता है देश का भविष्य
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों की शिक्षण तकनीक और पढ़ाने में विविध
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल :
उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों की शिक्षण तकनीक और पढ़ाने में विविधता लाने को लेकर छह दिवसीय शिक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला गढ़वाल विवि के चौरास परिसर स्थित विवि एकेडमिक सेंटर में शुरू हुई। इसमें उत्तराखंड के विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के तत्वावधान में गढ़वाल विवि में स्थापित पंडित मदनमोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टी¨चग केंद्र की ओर से यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व विशेष अधिकारी डॉ. ओपी पांडे ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि एक कक्षा से ही देश का भविष्य तय होता है। इसलिए शिक्षण कौशल तकनीक में सुधार लाने और अपडेट रहने के साथ ही शिक्षकों में मानवीय संवेदनाओं को होना बेहद जरूरी है। इस दौरान गढ़वाली भाषा में अपना व्याख्यान शुरू कर डॉ. पांडे ने सभी प्रतिभागियों को आश्चर्यचकित कर दिया। गढ़वाल विवि के विशेष कार्याधिकारी प्रो. डीएस नेगी ने कहा कि बेहद कड़ी प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में ऐसे शिक्षकों की जरूरत है जो छात्रों को प्रतिस्पद्र्धा की जरूरतों के अनुसार तैयार कर सके। गढ़वाल विवि के वित्त अधिकारी डॉ. पदमाकर मिश्र ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार जरूरी भी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गढ़वाल विवि के ह्यूमिनिटीज एंड सोशल साइंसेज की डीन प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि वर्तमान की भारतीय शिक्षा पद्धति उद्देश्यविहीन हो गयी है। कौशल युक्त स्नातकों को तैयार करने पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाने वाली शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ाना है। गढ़वाल विवि के मदनमोहन मालवीय नेशनल मिशन केंद्र के निदेशक प्रो. पीके जोशी ने छह दिवसीय कार्यशाला आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कहा कि अब शिक्षा का उद्देश्य साक्षर होना ही नहीं वरन प्रतिस्पद्र्धा में अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित करना भी है। शिक्षा की इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षक की महत्ता बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। इस मौके पर प्रो. शशि किरण पांडे समेत अन्य शिक्षक मौजूद रहे।