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सेवानिवृत्ति के बाद करा रहे हैं कर्तव्यों का बोध

संवाद सहयोगी, कोटद्वार : सरकार ने उन्हें भले ही सेवानिवृत्त कर घर बैठा दिया हो, लेकिन बुजुर्ग जयपाल

By Edited By: Published: Wed, 27 Apr 2016 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2016 05:05 PM (IST)
सेवानिवृत्ति के बाद करा  रहे हैं कर्तव्यों का बोध

संवाद सहयोगी, कोटद्वार : सरकार ने उन्हें भले ही सेवानिवृत्त कर घर बैठा दिया हो, लेकिन बुजुर्ग जयपाल ¨सह उम्र के 70-वें दशक में आज भी अपने कर्तव्यों को निर्वहन करने में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से सीनियर फोरमैन पद से सेवानिवृत हुए ग्राम हलूणी (संगलाकोटी) निवासी जयपाल ¨सह आज भी प्रतिदिन रोडवेज कार्यशाला में पहुंच बस चालकों को ईंधन बचाने के बेसिक गुर सिखाते नजर आते हैं। मकसद सिर्फ एक कि वाहनों से निकलने वाले ईंधन के कारण पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

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वर्तमान में जनपद बिजनौर के अंतर्गत नजीबाबाद में रह रहे जयपाल ¨सह ने अपने खर्चे पर वाहन चालकों को बांटने के लिए कई पंपलेंट छपवाए हुए हैं। इन पंपलेंटों को लेकर वे नजीबाबाद में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम व कोटद्वार में उत्तराखंड परिवहन निगम की कार्यशालाओं में पहुंच चालकों को ईंधन बचाने के लिए वाहनों के सुरक्षित संचालन के तरीके बताते हैं। श्री ¨सह का कहना है कि वर्तमान में कुछ बस चालक ने स्?वयं की सुविधा के लिए क्लच, ब्रैक व एक्सीलेटर पैड्ल के पास लकड़ी/लोहे का पट्टा रख अतिरिक्त पायदान बना रहे हैं, जो कि दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। की वजह अधिक दुर्घटनाएं घट रही है। उनका कहना है कि डीजल वाहन की आदर्श गति 50-60 किमी प्रति घंटा है, लेकिन यह गति 65 किमी प्रति घंटा पहुंचती है तो 15 प्रतिशत डीजल की अधिक खपत के साथ ही दुर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है। कहा कि बिना जरुरत खड़े वाहन के इंजन को चालू रखना भी डीजल बर्बाद करता है।


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