गजब : जन्म से पहले दे दिया पोषाहार
रतनमणि भंट्ट, पाटीसैंण सरकारी कामकाज में अनियमितता कोई नई बात नहीं है, लेकिन हद तो तब हो गई जब अपन
रतनमणि भंट्ट, पाटीसैंण
सरकारी कामकाज में अनियमितता कोई नई बात नहीं है, लेकिन हद तो तब हो गई जब अपना पेट भरने के नाम पर जन्म से पहले ही पोषाहार वितरित कर दिया गया। इतना ही नहीं एक महिला को 18 महीने तक गर्भवती दर्शा कर उस राशन से खुद की पेट पूजा होती रही। चौंकिए मत क्योंकि प्रखंड पोखड़ा के अंतर्गत मिनी आंगनबाड़ी केंद्र पाली की पोषाहार वितरण पंजिका में ऐसी एक नहीं बल्कि दर्जनों अनियमितताएं दर्ज हैं। हद तो यह है कि दो माह पहले अनियमितता का खुलासा होने के बावजूद आंगनबाड़ी कार्यकत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जानकारी के अनुसार, प्रखंड पोखड़ा के अंतर्गत ग्राम पाली स्थित मिनी आंगनबाड़ी केंद्र में अनियमितताओं की शिकायत के चलते मुख्य विकास अधिकारी की ओर से दो माह पहले जांच के आदेश दिए गए थे। 25 अप्रैल को केंद्र का औचक निरीक्षण कर जांच की गई थी। जांच में स्पष्ट हुआ कि केंद्र में स्कूल पूर्व शिक्षा व पोषाहार वितरण पंजिका में छेड़छाड़ कर तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया गया है। तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के पोषाहार वितरण की स्टाक पंजिका भी जांच के लिए मुहैया नहीं कराई गई। जांच दल ने मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी रिपोर्ट में मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री की ओर से जानबूझकर सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी करना, गलत तथ्यों की प्रविष्टि करने के आरोप लगाते हुए कार्रवाई की संस्तुति की। रिपोर्ट के आधार पर 22 मई को मुख्य विकास अधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को उक्त कार्यकत्री की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश दे दिए। हैरानी की बात तो यह रही कि अधिकारियों ने सीडीओ के आदेशों को सरकारी फाइलों में दबा दिया व आंगनबाड़ी कार्यकत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
लंबे समय तक कार्रवाई न होने की दशा में ग्राम पाली निवासी राजेंद्र बडोनी की ओर से पूरे प्रकरण में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी गई। जानकारी मांगे जाने के बाद एक बार फिर जिला प्रशासन की नींद टूटी व 24 जून को मुख्य विकास अधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को पत्र भेज तत्काल पूरे मामले में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। दो माह बीत गए हैं, लेकिन आज तक स्थिति पूर्ववत है। एक बार फिर अधिकारियों ने तमाम आदेशों को फाइलों में दफन कर दिया है।
ये हैं मामले
केस एक : निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नौ वर्ष की बालिका का नाम तीन से छह वर्ष तक की पंजिका में दर्ज किया गया था।
केस दो : 22 जुलाई 2012 को जन्मी एक बालिका को जून 2012 में ही उस पंजिका में दर्ज कर दिया गया, जिसमें सात माह से एक वर्ष के बच्चों के नाम पोषाहार वितरण पंजिका में पंजीकृत कर दिया गया था।
केस तीन : 17 अगस्त 2013 को जन्मे बालक को सितंबर 2013 में पंजिका में दर्ज कर दिया गया, जबकि उसका नाम धात्री के साथ चढ़ाया जाना था।
केस चार : धात्री पंजिका में संगीता देवी पत्नी धीरज लाल को जनवरी 2008 से जून 2009 तक 18 महीने तक गर्भवती दर्शाया गया है।
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मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री की सेवा समाप्ति के निर्देश दिए गए हैं। यदि कार्यकत्री कार्यरत है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सोनिका, मुख्य विकास अधिकारी