बीमार तंत्र के आगे पिता लाचार
विजय भट्ट, कोटद्वार: भाबर क्षेत्र के ग्राम गंदरियाखाल निवासी कांति प्रसाद के लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ
विजय भट्ट, कोटद्वार: भाबर क्षेत्र के ग्राम गंदरियाखाल निवासी कांति प्रसाद के लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बेमानी बन गई है। ब्लड कैंसर से पीड़ित उनकी तीन वर्षीय पुत्री जीवन और मौत के बीच झूल रही है लेकिन रुपये न होने के कारण वह लाचार बने हुए हैं। कहने को मुख्यमंत्री बीमा योजना के तहत उन्हें तत्काल पचास हजार रुपये का उपचार मिल सकता है लेकिन आय प्रमाण पत्र न होने के कारण उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। आय प्रमाण पत्र की यह औपचारिकता उपचार शुरू होने के बाद भी पूरी हो सकती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन सुनवाई को तैयार नहीं है।
सार्वजनिक मंचों से राजनेता भले ही प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर बड़े-बड़े भाषण देते नजर आएं, लेकिन योजना का लाभ 'पहुंच' वालों तक ही सिमट कर रह गया है। यदि ऐसा न होता तो कांता प्रसाद भी इसी योजना के तहत अपनी पुत्री मीनाक्षी का उपचार करा रहे होते। दरअसल, तीन वर्षीय मीनाक्षी ब्लड कैंसर से पीड़ित है और वर्तमान में एचआईएचटी, जौलीग्रांट में भर्ती है।
कांता प्रसाद बताते हैं कि करीब दो सप्ताह पूर्व मीनाक्षी ने सीने में दर्द की शिकायत बताई, जिसके बाद वे उसे राजकीय संयुक्त चिकित्सालय ले गए। दो-तीन दिन दवा खाने के बाद भी कोई फर्क न पड़ने पर उन्होंने कोटद्वार में एक निजी चिकित्सक से मीनाक्षी का उपचार कराया, लेकिन वहां भी हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते चले गए। बीती 22 जुलाई को वे मीनाक्षी को लेकर बिजनौर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसमें ब्लड कैंसर की संभावना बताते हुए हायर सेंटर ले जाने को कहा। 23 जुलाई को वे मीनाक्षी को लेकर दून अस्पताल पहुंचे, जहां परीक्षण के दौरान पुत्री में ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई। दून अस्पताल में मीनाक्षी को चार यूनिट प्लेटनेटस व दो यूनिट ब्लड चढ़ाया गया, लेकिन कोई विशेष फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद चिकित्सकों की राय पर वह मीनाक्षी को जौलीग्रांट स्थित हिमालयन हास्पिटल लेकर आ गए।
कांता प्रसाद का कहना है कि चिकित्सक मीनाक्षी की कीमोथैरेपी करने की बात कह रहे हैं, जिसमें काफी धनराशि लगेगी। वर्तमान में उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि बड़ी धनराशि का प्रबंध कर सकें। बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ लेने का प्रयास किया गया, लेकिन वहां उनसे आय प्रमाण पत्र मांगा गया। कांता प्रसाद का कहना है कि वे अपनी पुत्री का इलाज कराएं अथवा आय प्रमाण पत्र बनाने जाएं, यह समझ नहीं आ रहा। बहरहाल, तीन वर्ष की नन्हीं 'परी' का जीवन बचाने के लिए पिता कांता प्रसाद बगैर किसी सरकारी इमदाद के हर संभव प्रयास में जुटे हुए हैं।
यह है एमएसबीवाई
एमएसबीवाई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना। जनवरी 2015 में उत्तराखंड सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना के तहत शुरूआत में प्रदेश में प्रत्येक व्यक्ति का एमएसबीवाई कार्ड बनाया गया। कार्ड धारक को सरकारी अथवा सरकार की ओर से अधिकृत निजी चिकित्सालय में 50 हजार तक के उपचार की निशुल्क व्यवस्था दी गई। इसे तंत्र की खामी कहा जाए कि आज तक लोगों को एमएसबीवाई कार्ड नहीं मिल पाए हैं। ऐसा नहीं कि कार्ड बने न हों, लेकिन यह कार्ड उन लोगों के घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं, जिन्हें इनके वितरण की जिम्मेदारी दी गई थी।
तंत्र की इस कमी के मद्देनजर सरकार ने तय किया कि योजना का लाभ लेने को कार्ड की भी कोई जरुरत नहीं। व्यवस्था की गई कि जरुरतमंद संबंधित चिकित्सालय में पहुंच एक फार्म भर दे, जिसके बाद उसे योजना का लाभ मिलने लगेगा। आलम यह है कि चिकित्सकों में फार्म लेने के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।