तीन साल में नौ मारे, 21 घायल
गुरुवेंद्र नेगी, पौड़ी : जनपद में पिछले तीन साल से मानव व वन्य जीवों के बीच चल रहा खूनी संघर्ष थम न
गुरुवेंद्र नेगी, पौड़ी :
जनपद में पिछले तीन साल से मानव व वन्य जीवों के बीच चल रहा खूनी संघर्ष थम नहीं रहा है। इस दौरान गुलदार ढेर भी हुए तो कैद भी, लेकिन दहशत फिर भी बरकरार। एक साल के भीतर ही जनपद में नौ लोग गुलदार के निवाला बने तो इक्कीस घायल हुए। घटना के बाद वन महकमा मुस्तैद हुआ तो राहत भी मिली।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पौड़ी जनपद में गुलदार ग्रामीणों की जान का दुश्मन बना है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है। यहां हर समय ग्रामीणों के सिर पर मौत की तलवार लटकती रहती है। पोखड़ा, एकेश्वर, थलीसैंण, कोट आदि ऐसे प्रखंड हैं,जहां के ग्रामीण क्षेत्रों में गुलदार भरी दोपहर में भी नजर आ रहा है। कई बार तो ऐसी भी नौबत आई कि गुलदार के आतंक से भयभीत अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया तो महिलाओं ने खेतों में कार्य। अभी भी हालात कुछ जुदा नहीं है। शुक्रवार की सुबह पोखड़ा गांव प्रखंड के वीणा मल्ली में मां के साथ खेत में कार्य कर रही आठ वर्षीय बालिका को गुलदार के घायल करने के बाद से एक बार फिर क्षेत्र में दहशत है। जब भी ऐसा मामला सामने आता है तो वन विभाग भी मुस्तैद होकर वहां पिंजड़ा लगा देता है। इस बीच कई बार गुलदार कैद भी हुए और ढेर भी, लेकिन खूनी संघर्ष कम नहीं हुआ है।
अप्रैल 2014 से अब तक मारे गए लोग
रामचरण सिंह निवासी डुंगरी गांव, विकास निवासी खंडूली, गुड्डी देवी निवासी मलेथा, माहेश्वरी देवी निवासी- मलेथा, आनंद बहादुर निवासी मासौ, कंचन निवासी नागदेव, सरस्वती देवी किमखेत, शारदा देवी निवासी कोल्ठा, सतेश्वरी लाल निवासी छामावड्डा।
घायल हुए लोगों की संख्या: 21
कैद हुए गुलदारों की संख्या-3
नर भक्षी घोषित होने के बाद मारे गए गुलदार- 2
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'जंगलों में आग लगने के कारण भी कई बार जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं। गांवों से लगातार पलायन भी एक बड़ा कारण है। कई बार बूढ़ा हो चला जानवर जंगलों में शिकार नहीं कर पाता और वह आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाता है। ऐसे में सावधानी जरूरी है।'
रमेश बौड़ाई, पर्यावरण प्रेमी।
'वीणा मल्ली गांव में गुलदार ने बालिका को घायल करने की सूचना मिलने पर वहां वन कर्मियों को भेज दिया है। पिंजड़ा पहले से ही लगा है। गुलदार को आदमखोर घोषित करने के लिए शासन को लिखा जा रहा है। क्षेत्र में सभी लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।'
राजमणि पांडे, डीएफओ गढ़वाल वन प्रभाग पौड़ी।