मौसम ने किया लीची का स्वाद कड़वा
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार क्षेत्र में उत्पादित लीची का बाजार में में पहुंच गई है, लेकिन इस
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार क्षेत्र में उत्पादित लीची का बाजार में में पहुंच गई है, लेकिन इस वर्ष लीची की मिठास मुंह को अवश्य 'कड़वा' करेगी। दरअसल, मौसम की मार के चलते जहां लीची की फसल कम है, वहीं उसके दाम काफी अधिक हैं। ऐसे में लीची की मिठास लेने को जेब का ढीला होना तय है।
कोटद्वार की लीची ने सबसे पहले बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। अंतर सिर्फ इतना है कि पिछले वर्ष तक जहां बाजार में प्रत्येक दूसरी ठेली में लीची का ढेर सजा नजर आता था, इस वर्ष गिने-चुने ठेलों में ही लीची नजर आ रही है। लीची की मिठास पूर्व की भांति है, लेकिन महंगे दाम मिठास को कड़वा कर रहे हैं। गत वर्ष तक जहां लीची की कीमत 40-50 रुपये प्रति किग्रा मिलती थी, इस वर्ष 80-100 प्रति किग्रा के हिसाब से बिक रही है।
कोटद्वार के साथ ही बाहरी क्षेत्रों में लीची की आपूर्ति करने वाले उद्यान विभाग के खाम गार्डन में भी इस बार आम-लीची की पैदावार में मौसम की बड़ी मार पड़ी है। अनुमान लगाया जा रहा था कि खाम गार्डन से 80 से 90 कुंतल लीची मिल जाएगी, लेकिन पिछले दिनों आई तेज आंधी ने तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हालात यह हैं कि खाम गार्डन में लीची का उत्पादन महज 30 से 35 कुंतल रह गया है। पिछले चार वर्षो से खाम गार्डन को ठेके पर ले रहे अतीक खान व श्याम सिंह बताते हैं कि उन्होंने इस वर्ष बाग को 3.61 लाख में ठेके पर लिया था, लेकिन मौसम ने पूरी फसल बर्बाद कर दी।
नहीं मिल रहा मुआवजा
शासन की ओर से आंधी से हुए नुकसान के एवज में काश्तकारों को मुआवजा वितरित किया जा रहा है। लेकिन खाम गार्डन को ठेके पर लेने वाले अतीक खान व श्याम सिंह को अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। दोनों ठेकेदार स्थानीय प्रशासन से लेकर कृषि मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं। दोनों ठेकेदारों ने बताया कि उन्होंने लोन पर पैसा उठाकर बगीचे को ठेके पर लिया था।