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उच्चीकरण की घोषणा, व्यवस्था 'जुगाड़'

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : राजनैतिक गलियारों से होने वाली घोषणाएं किस कदर हवाई होती हैं, भाबर क्षेत

By Edited By: Published: Mon, 25 May 2015 05:23 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 05:23 PM (IST)
उच्चीकरण की घोषणा, व्यवस्था 'जुगाड़'

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : राजनैतिक गलियारों से होने वाली घोषणाएं किस कदर हवाई होती हैं, भाबर क्षेत्र के अंतर्गत कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय, लालपुर को देख इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल, स्थापना के 18 वर्षो बाद आज भी विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों के पद भी सृजित नहीं हुए हैं व विद्यालय पूरी तरह 'जुगाड़' के भरोसे है।

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25 दिसंबर 2013 को कोटद्वार पहुंचे प्रदेश के शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने राजकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय लालपुर को उच्चीकृत करने की घोषणा तो की, लेकिन घोषणा से पूर्व विद्यालय की स्थिति पर विचार करने की जहमत नहीं उठाई गई। दरअसल, 1997 में दसवें वित्त आयोग से मिले बजट से आनन-फानन में विद्यालय की स्थापना कर भवन का तो निर्माण हो गया, लेकिन नौकरशाही की लापरवाही के चलते महकमा शिक्षकों के पद सृजित करना भूल गया। नियमों के तहत यहां चार सहायक अध्यापक व एक प्रधानाध्यापक की नियुक्ति होनी थी। लेकिन, पद ही सृजित नहीं हुए तो नियुक्ति का सवाल ही पैदा नहीं होता।

विद्यालय खुलने के बाद जब महकमे को अपनी गलती का अहसास हुआ तो विभाग ने व्यवस्था के तौर पर चार सहायक अध्यापकों के साथ ही एक प्रधानाध्यापक को विद्यालय से संबद्ध कर दिया। 18 वर्ष बीत गए हैं व विभाग की 'जुगाड़' की व्यवस्था आज भी बदस्तूर जारी है। विभाग के समक्ष परेशानी यह है कि जब कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय के पद सृजित नहीं तो ऐसे में हाईस्कूल के पदों को सृजन किस तरह होगा?

हालांकि, शिक्षा मंत्री की घोषणा के बाद महकमे ने हाईस्कूल कक्षाओं के संचालन को विद्यालय में अध्यापिका व एक लिपिक की तैनाती कर दी है लेकिन, यह तैनाती भी पूर्व की भांति व्यवस्था पर ही हुई हैं।

जगह की कमी आ रही आड़े

शिक्षा मंत्री ने भले ही राकपूमावि लालपुर को हाईस्कूल में उच्चीकृत करने की घोषणा कर दी हो, लेकिन विद्यालय परिसर में इतनी जगह नहीं कि वहां हाईस्कूल की कक्षाएं संचालित हो सकें। इतना ही नहीं, विद्यालय के लिए भूमि दान देने वाला पक्ष भी विद्यालय का नाम अपने परिजनों के नाम पर कराने की मांग को लेकर न्यायालय की शरण में है। स्वयं विद्यालय प्रशासन भी मान रहा है कि वर्तमान जगह में अन्य कक्षा-कक्षों का निर्माण संभव नहीं है।

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'विद्यालय की स्थापना के बाद पद क्यों सृजित नहीं हुए, इस संबंध में जानकारी नहीं है। विद्यालय का उच्चीकरण तो कर दिया गया है, लेकिन इसमें पदों का सृजन कैसे होगा, इसे संबंध में उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार किया जा रहा है।

एचएस नेगी, खंड शिक्षा अधिकारी, दुगड्डा'


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