यू-ट्यूब पर भी उपलब्ध होगी 'गढ़ रमैण रमायणी'
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : तुलसीकृत श्री रामचरितमानस (रामायण) अब गढ़वाली भाषा में भी उपलब्ध
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल :
तुलसीकृत श्री रामचरितमानस (रामायण) अब गढ़वाली भाषा में भी उपलब्ध होने जा रही है। जागर, गोपीचंद, पंडवाणी, रामी बौराणी, भटियाला पावड़ा सहित गढ़वाल की 60 पारंपरिक लोकधुनों पर रामायण को गढ़वाली में तैयार किया जा रहा है।
70 वर्षीय लोकगायक लक्ष्मण पल्लव जैसाली और लोकगायक संगीतकार अमित सागर की जुगलबंदी में श्रीनगर के सुर सागर स्टूडियो में रोजाना सुबह दस बजे से रात्रि नौ बजे तक गढ़वाली में रामायण की रिकॉर्डिग की जा रही है। एक महीने में यह कार्य पूरा हो जाने की संभावना है। इसके लिए अमित सागर डेढ़ लाख रुपये खर्च कर रहे हैं। लोकगायक लक्ष्मण पल्लव जैसाली ने इस कार्य में अपनी बनाई जागर धुनों का भी समावेश किया है। गढ़वाली में रामायण की रिकॉर्डिग पूरी हो जाने के बाद गढ़वाली में तैयार 150 पन्नों की गढ़ रमैण रमायणी को प्रकाशित भी किया जाएगा। संगीतकार अमित सागर ने बताया कि इसे यू-ट्यूब पर भी उपलब्ध कराने के साथ ही बाल कांड, सुंदर कांड सहित गढ़वाली में रामायण के सभी सात कांडों को अलग-अलग सीडी में भी उपलब्ध कराया जाएगा। लोकगायक लक्ष्मण जैसाली इसमें राम की ओर से ब्रह्म हत्या पाप के निवारण का समावेश भी करेंगे। मूल रूप से नंदप्रयाग निवासी लोकगायक 70 वर्षीय लक्ष्मण पल्लव जैसाली और अमित सागर ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को विरासत के रूप में यह उपलब्धि देने को लेकर इस ऐतिहासिक कार्य को उन्होंने शुरू किया। संगीतकार अमित सागर ने बताया कि लोकधुनों पर गढ़वाली में तैयार की जा रही रामायण में प्रिया जाटव और दीपिका सहायक गायिका हैं।
400 दोहों व चौपाइयों का संयोग
400 दोहों व चौपाइयों को गढ़ रमैण रमायणी रामायण में समावेशित किया गया है। यह गढ़वाल की अलग-अलग पारंपरिक लोकधुनों में तैयार की जा रही है। इसके बाद गढ़वाली रामायण का मंचन भी किया जा सकता है।
संगीतमय होगी रामायण
गढ़वाली में रामायण संगीतमय भी होगी। इसके लिए बांसुरी, ढोलक, ढोल दमाऊं, डौंर थाकुली, हुड़का वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग किया जा रहा है।