पेयजल समस्या बरकरार, बजट का इंतजार
संवाद सहयोगी, कोटद्वार : गत वर्ष अगस्त माह में आई आपदा के कारण पैदा हुई पेयजल समस्या आपदा के छह माह
संवाद सहयोगी, कोटद्वार : गत वर्ष अगस्त माह में आई आपदा के कारण पैदा हुई पेयजल समस्या आपदा के छह माह बाद भी बरकरार है। आपदा में क्षतिग्रस्त योजनाओं की मरम्मत को अब तक बजट नहीं मिल पाया है। इसके कारण लोगों को पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है।
कोटद्वार डिवीजन के अंर्तगत आने वाले छह ब्लॉकों के दर्जनों गांवों को पेयजल किल्लत से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। दरअसल, आपदा में दुगड्डा, जयहरीखाल, द्वारीखाल, रिखणीखाल, यमकेश्वर व नैनीडांडा की 127 योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई थी। इनमें से छह योजनाएं पूर्ण रूप से तबाह हो गई थी। जल संस्थान ने कुछ योजनाओं को तो कामचलाऊ व्यवस्था के तहत ठीक कर दिया, लेकिन अब इन ब्लॉकों की 98 योजनाओं को बजट का इंतजार है। इन योजनाओं की मरम्मत को अब तक विभाग महज प्रस्ताव बनाने की बात ही कह रहा है, लेकिन प्रस्ताव शासन को भेजने में विलंब कर रहा है। आलम यह है कि आपदा के छह माह बाद भी प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा गया। इस कारण दर्जनों गांवों में पेयजल संकट बना हुआ है। ग्रामीणों को पानी के लिए दो से पांच किलोमीटर तक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसकेचलते लोगों को भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी अब भी प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने की बात कह रहे हैं।
देरी से भेजा रहा प्रस्ताव
जल संस्थान पिछले छह माह से कई बार प्रस्ताव शासन को भेजने की बात कह कर लोगों को गुमराह करने का काम कर रहा है। हकीकत यह है कि विभाग ने अब तक एक बार भी प्रस्ताव नहीं भेजा। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा रहा है।
यह है विभाग की योजना
देर से ही सही आखिरकार जल संस्थान को छह माह बाद आपदा में क्षतिग्रस्त हुई योजनाओं की मरम्मत की याद हा ही गई। विभाग ने छह ब्लॉकों की 98 योजनाओं की मरम्मत के लिए 12 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। विभाग की माने तो प्रस्ताव जल्द शासन को भेज दिया जाएगा।
क्षतिग्रस्त योजनाओं की मरम्मत का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। शासन के निर्देशानुसार योजनाओं की मरम्मत को विश्व बैंक से बजट की मांग प्रस्ताव जल्द शासन को भेजा जाएगा।
एसएस मेवाड़ा, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान कोटद्वार