प्राचीन हनुमान मंदिर भी जमींदोज
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: न्यू कमलेश्वर क्षेत्र में प्राचीन केशोरायमठ मंदिर के बाद अब प्राचीन
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: न्यू कमलेश्वर क्षेत्र में प्राचीन केशोरायमठ मंदिर के बाद अब प्राचीन हनुमान मंदिर भी रविवार रात्रि को जमींदोज हो गया। मंदिर में रखी हनुमान जी की लगभग एक फुट ऊंची मूर्ति भी मलबे के नीचे दब गयी। प्राचीन धार्मिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति प्रशासन की बेरुखी को लेकर केशोरायमठ मंदिर के पुजारी त्रिकाल गिरी और श्रीनगर बचाओ संघर्ष समिति में आक्रोश है।
न्यू कमलेश्वर क्षेत्र में अलकनंदा नदी की बाढ़ में समा चुके प्राचीन केशोरायमठ मंदिर के बाद अब रविवार रात्रि को केशोरायमठ के समीप का ही प्राचीन हनुमान मंदिर भी भूस्खलन की चपेट में जमींदोज हो गया। मंदिर में रखी लगभग एक फुट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति भी मलबे में दब गयी। मंदिर के नीचे की जमीन भी खोखली निकली। पूर्व सभासद आशा बिष्ट और पुजारी त्रिकाल गिरी का कहना है कि हनुमान जी का यह मंदिर तीन सौ सालों से अधिक पुराना था। पिछले साल जून में अलकनंदा नदी की भीषण बाढ़ से इस मंदिर के नीचे की जमीन थोड़ा खोखली हो गई थी लेकिन प्रशासन ने इसे ठीक कराने की जरूरत महसूस नहीं की।
क्षेत्र के निवासी गजेंद्र नेगी का कहना है कि कमलेश्वर क्षेत्र से आ रहे नाली के पानी ने मंदिर के नीचे की जमीन खोखली कर दी, जिससे रविवार रात्रि को यह ढह गया। लोगों का कहना है कि सुरक्षा दीवार के निर्माण को लेकर नदी तट पर किए गए कटान से भी मंदिर प्रभावित हुआ।
प्राचीन धार्मिक स्थलों की सुरक्षा किया जाना बहुत जरूरी है। सौ साल से अधिक पुराने ऐतिहासिक स्थल और केंद्र वैसे भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एंटिक्विटी एक्ट के अंतर्गत आते हैं। केशोरायमठ के बाद अब प्राचीन हनुमान मंदिर का जमींदोज होना चिंतनीय है।
प्रो. विनोद नौटियाल, अध्यक्ष इतिहास और पुरातत्व विभाग गढ़वाल विवि श्रीनगर