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कैमा लगाण छुई, रड़ता डांडों की..

संवाद सहयोगी, कोटद्वार : 'कख लगाण छुई, कैमा लगाण छुई। रीता कूड़ों की, तीसा भांडौं की, भगता मनख्यूं की

By Edited By: Published: Mon, 08 Dec 2014 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Dec 2014 01:00 AM (IST)
कैमा लगाण छुई, रड़ता डांडों की..

संवाद सहयोगी, कोटद्वार : 'कख लगाण छुई, कैमा लगाण छुई। रीता कूड़ों की, तीसा भांडौं की, भगता मनख्यूं की, रड़ता डांडौ की..' राइंका पाली में आयोजित कार्यक्रम में लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के इस लोक गीत की तरह ही पहाड़ में पलायन की पीड़ा व विषमताओं की विवशता झलकी। मौका था 'गढ़वाल बटि पलायन' संबंधी गढ़वाली भाषण प्रतियोगिता का।

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द्वारीखाल प्रखंड के अंतर्गत राइंका पाली (लंगूर) में आयोजित गढ़वाली भाषण प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने न सिर्फ पलायन से त्रस्त पहाड़ की विवशताओं को सामने रखा, बल्कि पलायन से निपटने के लिए सुझाव भी दिए। प्रतिभागियों ने कहा कि पलायन के चलने गढ़ संस्कृति, अर्थव्यवस्था सहित सामाजिक पहलू भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने पलायन से निपटने के लिए मजबूत मानसिकता को विकसित करने की वकालत भी की।

मुख्य अतिथि डॉ.सुजाता रावत (पुणे) ने गढ़वाली को समृद्ध भाषा बताते हुए नई पीढ़ी से न सिर्फ गढ़वाली को पूरे मन से अपनाने की अपील की, बल्कि गढ़वाली के संरक्षण व संव‌र्द्धन के लिए मुख्य भूमिका अदा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। प्रतियोगिता के तहत मोहिनी ने प्रथम, देवयानी ने द्वितीय व मोनिका ने तृतीय स्थान हासिल किया। कार्यक्रम के समापन पर प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत करने के साथ गत वर्ष इंटरमीडिएट टॉपर रही शिवानी समेत विभिन्न गतिविधियों में अव्वल रहे छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संजीवन तोमर, शांता तोमर, उम्मेद सिंह नेगी, नागेंद्र चौहान, प्रदीप तोमर बलवीर सिंह रावत ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ.पद्मेश बुड़ाकोटी व दलवीर सिंह रावत आदि मौजूद रहे।


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