मंदिर को वापस मिलें जमीनें
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर की संपत्ति के मामले में उच्च न्यायालय
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर की संपत्ति के मामले में उच्च न्यायालय नैनीताल की ओर से सरकार को दिए गए निर्देश का स्वागत करते हुए मंदिर के महंत आशुतोष पुरी महाराज ने कहा कि कब्जाधारियों से सभी जमीनें मंदिर को वापस मिलनी चाहिए। मंदिर की जमीन खुर्द बुर्द करने की पूरी जांच कर कार्यवाही भी होनी चाहिए।
शुक्रवार को मंदिर परिसर में पत्रकारों से बातचीत में महंत आशुतोष पुरी ने कहा कि मंदिर की भूमि कैसे किसी के नाम पर चढ़ गयी, इसकी भी जांच होनी जरूरी है। कमलेश्वर महादेव मंदिर के पास 273 नाली जमीन थी। 2004 में जब वह महंत बने, तब तक अधिकांश जमीन खुर्द बुर्द हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि महंत बनने के बाद उन्होंने मंदिर की कोई भी जमीन खुर्द बुर्द नहीं होने दी। अलकनंदा नदी किनारे बेकार पड़ी लगभग साढ़े आठ नाली मंदिर की जमीन को बचाने के लिए उन्होंने बाउंड्रीवाल के साथ ही गोशाला और कमरे भी बनवाए। महंत ने आरोप लगाते हुए कहा कि गुरुरामराय स्कूल को दान स्वरूप पूर्व महंत की ओर से जो जमीन दी गयी थी, उसके अतिरिक्त अब स्कूल प्रबंधन ढाई नाली जमीन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहा है। यह मामला मुन्सिफ न्यायालय में विचाराधीन भी है। इसके बावजूद स्थल पर जेसीबी मशीन से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बैकुंठ चतुर्दशी मेले में मंदिर को मिलने वाले चढ़ावे से ही पूरे सालभर मंदिर सम्बन्धी कार्य और अन्य खर्च किए जाते हैं।
कहां गई मंदिर की जमीन
कमलेश्वर महादेव मंदिर की संपत्ति के खुर्द बुर्द करने को लेकर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर वाद दायर करने वाले सोसाइटी फॉर रिवॉल्यूशन अंगेस्ट करप्शन के महासचिव संतोष ममगांई ने कहा कि मंदिर की संपत्ति को खुर्द बुर्द कर देने के मामले में कार्यवाही होनी चाहिए। राजस्व खाते के अनुसार 273 नाली के बजाय मंदिर के पास 40 नाली भूमि ही शेष रह गयी है लेकिन मौके पर देखा जाए तो वह जमीन भी 10-12 नाली से ज्यादा नहीं है। सीतापुर नेत्र अस्पताल ट्रस्ट मुकदमे के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय नैनीताल ने जिला न्यायालय पौड़ी को अपील की दोबारा सुनवाई करने को कहा था लेकिन मामला दोबारा जिला न्यायालय नहीं ले जाया गया और सम्बन्धित ट्रस्ट से समझौता कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1990 में टिहरी परियोजना से कमलेश्वर मंदिर को 4.89 लाख रुपए मिले थे उसका क्या उपयोग हुआ इसकी भी जानकारी नहीं है। डीएम टिहरी द्वारा उस धन के रिकवरी के आदेश हुए हैं। नई टिहरी में टीएचडीसी द्वारा कमलेश्वर मंदिर को दिए गए 230 वर्ग मीटर के प्लाट के आवंटन को भी 2012 में टीएचडीसी ने निरस्त कर दिया था।