सुंदरता से भरपूर, पर उम्मीदें चूर
जागरण संवाददाता, पौड़ी: पर्यटन नगरी पौड़ी के कंडोलिया से सटी गगवाड़स्यू घाटी में पर्यटन की अपार संभावना
जागरण संवाददाता, पौड़ी: पर्यटन नगरी पौड़ी के कंडोलिया से सटी गगवाड़स्यू घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। घाटी के चारों ओर देवदार, बांस-बुरांश के जंगल और दूर-दूर तक फैली प्राकृतिक सुंदरता का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर होने के बावजूद इस घाटी की ओर से पर्यटन मंत्रालय ने नजरें फेर रखी हैं। इससे पर्यटन विकास को लेकर लोगों की उम्मीदें चूर-चूर हो रही हैं।
कंडोलिया से महज दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित गगवाड़स्यू घाटी पर प्रकृति ने खजाना लुटाया है। चारों ओर खेत खलियानों में उगी फसलें इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देती हैं। लेकिन राज्य बनने के बाद शायद ही कभी ऐसा मौका आया हो जबकि पर्यटन मंत्रालय ने यहां की सुंदरता को पर्यटन के नक्शे पर लाने की कवायद की हो। हां, खानापूर्ति के नाम पर घाटी के ल्वाली में झील निर्माण की योजना बनाई। मंतव्य था कि इससे पर्यटन रोजगार बढे़गा तो क्षेत्र को पहचान मिलने के साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा, मगर कई वर्षो से मामला सर्वे कार्य तक सिमटा रहा।
हाल ही में विधायक सुंदर लाल मंद्रवाल ने पहल कर झील निर्माण का मुद्दा सीएम के सामने रखा तो ज्ञात हुआ कि निर्माण को स्वीकृति मिल चुकी है। लेकिन यहां भी लेटलतीफी ही हावी रही। स्वीकृत झील का अभी निर्माण तो दूर सर्वेक्षण कार्य ही चल रहा है। ऐसे में पर्यटकों को कब झील का दीदार होगा, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
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छह माह तक होता है मोरी मेला
श्री नंदादेवी राजजात की तर्ज पर इसी घाटी के तमलाग गांव में मोरी मेला का आयोजन किया जाता है। पूरी तरह धार्मिक रंग में रंगा यह मेला छह माह तक चलता है। इसे देखने के लिए जनपद के ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के लोग भी गांव पहुंचते हैं।
पैराग्लाइडिंग के लिए बेहतरीन है गगवाड़स्यू
वर्ष 1994 में हिमालयन फ्लाइंग स्कूल के मनीष जोशी ने ट्रायल के तौर पर पैडुलस्यूं की कंडारा घाटी में कुछ उड़ाने भर कर पहली दफा घाटी में पैराग्लाइडिंग के लिए बेहतर परिस्थितियों का खुलासा किया था। इसके अलावा, गगवाड़स्यू घाटी में कुछ वर्ष पूर्व अंग्रेज पर्यटकों ने पैराग्लाइडिंग की और इसे इस रोमांचक खेल के लिए बेहतर स्थान बताया। लेकिन फिर भी सरकारी तंत्र ने कुछ खास ध्यान नहीं दिया।
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'गगवाड़स्यू घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। अंग्रेजी पर्यटकों ने यहां पैराग्लाइडिंग कर इसकी ताकीद भी की, मगर पर्यटन मंत्रालय उदासीन बना हुआ है। अब सरकार ने यहां ल्वाली झील बनाने की स्वीकृति दी, लेकिन निर्माण कब तक पूरा होगा, पता नहीं।'
-उमाचरण बड़थ्वाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य, पौड़ी।
'ल्वाली में झील निर्माण के लिए सर्वेक्षण कार्य चल रहा है। इसमें मिट्टी सहित कई अन्य सर्वेक्षण होने हैं। अभी विभाग को कम ही धनराशि मिली है। विशेषज्ञों द्वारा सर्वे कार्य पूरा होने के बाद ही आगे का कार्य होगा।'
-पीके अस्थाना, अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड
'ल्वाली झील का निर्माण सिंचाई खंड श्रीनगर को करना है। फिलहाल इन दिनों झील का सर्वेक्षण कार्य चल रहा है।'
-पीके गौतम, पर्यटन अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल।
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