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टूटे मकानों में रहने की मजबूरी

By Edited By: Published: Fri, 12 Sep 2014 06:59 PM (IST)Updated: Fri, 12 Sep 2014 06:59 PM (IST)
टूटे मकानों में रहने की मजबूरी

संवाद सहयोगी, पौड़ी: पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि ने पौड़ी गांव के दो गरीब वाशिंदों के आशियाने पूरी तरह दरका दिए हैं। विकल्प न होने के कारण इनके सामने उन्हीं भवनों पर रहने का जोखिम उठाने की विवशता है। इंतजार मदद का है लेकिन फिलहाल दूर तक उम्मीद नहीं दिख रही।

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पौड़ी गांव निवासी लक्ष्मण सिंह रमोला व भीम सिंह के नाम पिछले वित्तीय वर्ष में जेएनयूआरएम (जवाहरलाल नेहरू अरबन रूरल मिशन) इंदिरा आवास स्वीकृत हुए तो गरीबी में दिन काट रहे इन परिवारों को पक्की छत मिलने के सपनों को भी पंख लगे। टूटे दबड़ों के जगह पक्के मकान बन गए। लेकिन पक्का आशियाना बनने की खुशी बीते सोमवार को हुई तेज बरसात काफूर कर गई। बारिस से पहले मकानों के आगे का पुस्ता ढहा। फिर भवन के कमरों में भी मोटी दरारें आ गई। अब मकान रहने लायक नहीं हैं। बारिस का पानी सीधे भीतर ही पहुंच रहा है। लेकिन दूसरा कोई विकल्प न होने के कारण प्रभावित परिवार इन्हीं भवनों में रहने का जोखिम उठाने को मजबूर हैं। प्रभावितों ने आपदा परिचालन केंद्र में भी सूचना दी है। लेकिन प्रशासनिक मदद अभी तक नहीं मिली है।

मकान का बाहरी हिस्सा तो कभी नीचे गिर सकता है। भीतरी साइड में ही जैसे तैसे रह रहे हैं। लेकिन कोई दूसरा विकल्प नहीं है इसलिए यहीं रहना पड़ रहा है।

लक्ष्मण सिंह, आपदा प्रभावित पौड़ी गांव

मदद के लिए प्रशासन से लेकर नगर पालिका तक गुहार लगाई है। लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली है। इन हालातों में किस्मत को कोसने के अलावा दूसरा चारा नहीं है।

भीम सिंह, आपदा प्रभावित, पौड़ी गांव

मैने स्वयं प्रभावितों के घर जाकर स्थितियों का जायजा लिया है। हालात बहुत खराब हैं। तत्काल कदम उठाने जरूरी हैं। भवनों की मरम्मत पर जल्द कार्य शुरू करवाया जाएगा।

यशपाल बेनाम, अध्यक्ष नगर पालिका पौड़ी


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