सुरक्षित नहीं, असुरक्षित 'आधी आबादी'
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में महिला अपराधों में बढ़ोत्तरी हो गई है। आलम यह है कि पिछले करीब एक दशक में महिला अपराधों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। कोतवाली में दर्ज मामले महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की तस्दीक कर रहे हैं।
महिला अपराधों पर रोक के तमाम दावे किए जा रहे हैं। देश में महिला हिंसा पर रोक को नए कानून बनाने पर बहस छिड़ी हुई है। बावजूद इसके महिला हिंसा के मामले घटने के बजाय बढ़ रहे हैं। आमतौर पर माना जाता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा शहरी क्षेत्र में अधिक होती है। पहाड़ों में बलात्कार, छेड़छाड़, दहेज हत्या, दहेज उत्पीड़न के मामले कम ही सुनने को मिलते थे, लेकिन पिछले एक दशक में महिलाओं के खिलाफ होने वाले इन अपराधों में वृद्धि हुई है। बलात्कार के बाद हत्या जैसे कृत्य भी देखने का मिले हैं। कोतवाली में पिछले एक दशक में डेढ़ सौ से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं।
दर्ज नहीं होते कई मामले
महिला अपराधों के कई मामले दर्ज ही नहीं होते हैं। लोकलाज के कारण लोग न तो राजस्व पुलिस को और न ही रेगुलर पुलिस से शिकायत करते हैं। जिस कारण कई मामले सामने ही नहीं आ पाते हैं।
गुरु व अपने ही बने हैवान
महिला हिंसा के कई मामले ऐसे भी सामने आए। जिसने गुरु-शिष्य के पवित्र रिश्तों को भी तार-तार कर दिया। पिछले तीन-चार सालों में विद्यालयों में शिक्षकों के छात्रा से बलात्कार व छेड़छाड़ के कई मामले प्रकाश में आए। चाचा व ताऊ ने भी घिनौनी हरकतों को अंजाम दिया।
महिला अपराधों की स्थिति
अपराध मामले
बलात्कार 27
दहेज उत्पीड़न 67
दहेज हत्या 11
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पिछले कुछ समय से महिला अपराधों में वृद्धि हुई है। दहेज हत्या व उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
अजय जोशी, एसपी, पौड़ी