अस्पताल को मरहम की दरकार
जागरण संवाददाता, पौड़ी: मंडल मुख्यालय स्थित महिला जिला चिकित्सालय बदहाली का रोना रो रहा है। चिकित्सालय में चिकित्सकों के साथ ही संसाधनों कमी के चलते मरीजों को श्रीनगर या अन्य चिकित्सालयों की राह देखनी पड़ती है। गत छह माह के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो यहां 315 गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए पहुंची। इनमें से 102 महिलाओं को रैफर किया गया। ऐसे में सवाल यह है कि वर्षो से बदहाली के दौर से गुजर रहे इस चिकित्सालय के दिन कब बहुरेंगे।
महिला जिला चिकित्सालय में कभी भी स्वीकृत पदों के सापेक्ष चिकित्सक तैनात नहीं हुए। इन दिनों भी हालत जुदा नहीं हैं। महज दो चिकित्सक ही यहां तैनात हैं। इन्हीं को महिलाओं, बच्चों व अन्य मरीजों की देखभाल करनी है। एक छुट्टी पर गई तो दूसरे के ऊपर इतना वर्कलोड होता है कि इसका खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। विशेषकर प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को दूसरे चिकित्सालयों के लिए रैफर करना मजबूरी रहती है। सुविधा की बात करें तो चिकित्सालय में न अल्ट्रासाउंड मशीन न ही एक्सरे मशीन। चिकित्सकों के जो पद स्वीकृत हैं वो आज तक भरे ही नहीं गए। यहां मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कार्य जिला चिकित्सालय के सीएमएस संभाले हुए हैं। अहम बात यह है कि मंडल मुख्यालय का चिकित्सालय होने के साथ ही यह स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद भी है। ऐसे में दूसरे चिकित्सालयों का क्या हाल होगा समझा जा सकता है।
वर्ष 2014 में रैफर की गई गर्भवती महिलाएं
माह पंजीकृत रैफर
जनवरी 40 24
फरवरी 89 17
मार्च 38 12
अप्रैल 34 9
मई 52 18
जून 62 21
ये पद हैं खाली
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, बाल रोग विशेषज्ञ, एलएमओ इंजार्ज, एनेस्थेटिस्थ, ईएमओ।
महिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी है। नियुक्तियां शासन स्तर से होनी हैं। उसके लिए शासन को लिखा गया है।
डॉ. एससी पंत, प्रमुख अधीक्षक, जिला चिकित्सालय पौड़ी।