Move to Jagran APP

कहीं इतिहास न बन जाए धरोहर

By Edited By: Published: Tue, 05 Aug 2014 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 05 Aug 2014 01:00 AM (IST)
कहीं इतिहास न बन जाए धरोहर

गुरुवेंद्र नेगी, पौड़ी: उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक चार धाम तो हैं ही, इस सब के बीच वो पुरातात्विक महत्व के मंदिर-स्मारक भी हैं जो प्राचीन काल से यहां की धार्मिक विरासत रहे हैं। संरक्षण के अभाव में ये धरोहर अब इतिहास बनने की कगार पर हैं। फिलवक्त गढ़वाल मंडल में पुरातात्विक महत्व के मंदिरों का संरक्षण तो दूर उनमें चौकीदार तक नहीं है। इनमें से कई मंदिरों की दीवारें तक ढहने के कगार पर आ गई हैं।

prime article banner

मौजूदा समय में गढ़वाल मंडल के विभिन्न जनपदों में 21 मंदिर समूह ऐसे हैं जो राज्य सरकार के संरक्षण में हैं, लेकिन इनमें से दो मंदिरों को छोड़ दिया जाए तो बाकी मंदिरों में चौकीदार तक नहीं हैं। राज्य बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि पहाड़ों की विरासत कहे जाने वाले पुरातात्विक महत्व के इन मंदिरों के दिन भी बहुरेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी हुआ नहीं। बात इतनी ही नहीं, गढ़वाल मंडल के विभिन्न जनपदों में 11 मंदिर समूह ऐसे हैं जिन्हें सरकार ने राज्य संरक्षणाधीन के लिए चयनित किया हुआ है, लेकिन इनका सरंक्षण तो दूर पुरातात्विक महत्व के ही 19 समूहों को आज तक सरकार ने झांक कर नहीं देखा। गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जनपद के नारायण कोटी मंदिर तथा पौड़ी जनपद के पैठाणी शिव मंदिर को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी चौकीदार नहीं हैं।

पर्वतीय जिलों में राज्य संरक्षित मंदिर 'स्मारक'

पौड़ी : वैष्णव मंदिर समूह देवल, देवलगढ़ मंदिर समूह देवलगढ़, शिव मंदिर पैठाणी, शिवालय कुखड़गांव, लक्ष्मी नारायण मंदिर समूह सुमाणी।

चमोली : वैतरणी मंदिर समूह गोपेश्वर, गोविंद नगर मंदिर समूह सिमली, कुलसारी मंदिर कुलसारी, नारायण मंदिर समूह देवराड़ा।

टिहरी : सूर्य मंदिर पलेठी, राजराजेश्वरी मंदिर रानीहाट, नंदा देवी मंदिर समूह बजिंगा।

रुद्रप्रयाग : नारायणकोटी मंदिर समूह नारायणकोटी, नालाचट्ट मंदिर एवं स्तूप, दमयंती मंदिर ह्यूंण, लक्ष्मी नारायण मंदिर समूह बैरांगना।

उत्तरकाशी: क्यार्क रैथल मंदिर समूह, जमदगिभन मंदिर समूह थान, महासू मंदिर समूह बढकोट, महासू मंदिर समूह पुजेंली, देवराणा मंदिर पोंटी।

ये मंदिर हैं राज्य सरंक्षणाधीन:

पौड़ी जिले में खिर्सू का दानड़ी मंदिर समूह, नगर गांव के मंदिर, रुद्रप्रयाग का शिवालय महड़, चंडिका मंदिर समूह, कर्णधार शिवालय, सिल्सा मंदिर समूह, कंडारा समूह, बसुकेदार मंदिर समूह, फलासी मंदिर समूह, चमोली का अनुसूया मंदिर समूह, तपोवन मंदिर समूह।

--------------

'पुरातात्विक महत्व के कई मंदिरों में चौकीदार नहीं हैं इसलिए समस्या बनी है। यदि सरकार प्रति वर्ष इनके रखरखाव के लिए आवश्यकता के अनुरूप बजट की व्यवस्था करे तो उन्हें संजोया जा सकता है।'

आशीष कुमार, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, गढ़वाल मंडल पौड़ी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.