श्रीनगर जलविद्युत प्रोजेक्ट की नहर टूटी
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की नहर की दीवार क्षतिग्रस्त होने से गाद को फिल्टर करने वाले डिसिल्टिंग बेसिन फिल्टर(डीएसबी) प्लांट को खतरा पैदा हो गया है। कंक्रीट से बनी यह दीवार तीन स्थानों पर टूटी है। पानी के तेज रिसाव के कारण निकटवर्ती पांच गांव भी खतरे की जद में बताए जा रहे हैं। घटनास्थल के निरीक्षण को पहुंचे स्थानीय विधायक और शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने चेतावनी दी कि निर्माण एजेंसी गणपति वेंकट कृष्णा कंपनी (जीवीके) को समस्याओं के समाधान के लिए दस अगस्त तक का समय दिया गया गया है। यदि तय समय में कंपनी ने कार्यवाही न की तो निर्माण कार्यो पर रोक लगा दी जाएगी। उधर, कंपनी के मुख्य समन्वयक संतोष रेड्डी ने आश्वस्त किया कि डीएसबी की टूटी दीवार को लेकर जांच की जाएगी। नहर से हो रहे पानी के रिसाव को भी रोका जाएगा और भूगर्भीय सर्वेक्षण भी कराया जाएगा। दस अगस्त तक सम्बन्धित मुद्दों की जांच कर रिपोर्ट प्रशासन और पेयजल मंत्री को भी उपलब्ध करायी जाएगी।
पर्यावरण को लेकर विवादों में रही अलकनंदा पर बन रही 330 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना पर तकरीबन 90 फीसद कार्य पूर्ण हो चुका है। अलकनंदा नदी के पानी से गाद को फिल्टर करने के लिए सुपाणा (चौरास) लगभग 250 वर्ग मीटर क्षेत्र में डिसिल्टिंग बेसिन फिल्टर प्लांट बनाया गया है। यहां से फिल्टर होने के बाद पानी को परियोजना के लिए नहर में छोड़ा जाता है। दो मीटर मोटी 13 मीटर ऊंची कंक्रीट की दीवार डीएसबी को दो भागों में बांटती है।
शनिवार की सुबह एक तेज आवाज ने आसपास के गांवों को बेचैन कर दिया। सुपाणा के ग्राम प्रधान लखपत सिंह ने बताया कि इससे लोगों में दहशत फैल गई। ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो माजरा समझ आया। वहां पानी का तेज रिसाव हो रहा था। इससे आसपास के इलाके में भूकटाव हो गया। इसके अलावा यह दीवार चौरास परिसर के पीछे मंगसू पुल के पास भी दो स्थानों पर टूट गयी। प्रधान लखपत के अनुसार इससे पहले डीएसबी के निर्माण के दौरान भी इस दीवार की सेटरिंग भी गिरी थी। ग्रामीणों ने कंपनी पर निर्माण कार्यो में घटिया गुणवत्ता का आरोप भी लगाया। घटना की सूचना मिलने पर कीर्तिनगर के उपजिलाधिकारी जितेंद्र सिंह और कंपनी के अफसर मौके पर पहुंचे। एसडीएम ने बताया कि कंपनी को तत्काल पानी का रिसाव रोकने के आदेश दिए गए हैं।
कुछ देर बाद जैसे ही स्थानीय विधायक और शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी मौके पर पहुंचे, ग्रामीणों ने उनसे कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी के निर्माण कार्यो में मानकों की अनदेखी की है। इससे ग्रामीणों के लिए खतरा बना हुआ है। मंत्री से मुलाकात करने वालों में मढ़ी के प्रधान जयकृष्ण भट्ट और मंगसू के प्रधान राजेंद्र बहुगुणा के साथ कई ग्रामीणा शामिल थे।
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'नहर से हो रहे पानी के रिसाव और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए जीवीके कंपनी को दस अगस्त तक का समय दिया है। कंपनी को भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने के लिए भी कहा गया है। यदि निर्धारित समय तक समाधान न हुआ तो कंपनी के सभी कार्य रोक दिए जाएंगे।
शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी
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