उच्च शिक्षा के थोथे दावे
संवाद सूत्र, धुमाकोट: सूबे में उच्च शिक्षा के थोथे दावे युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा 'पहाड़' बनकर रह गई है। इसी की बानगी है राजकीय महाविद्यालय नैनीडांडा। यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस विषय के साथ महाविद्यालय की स्थापना हुई थी, आज महाविद्यालय में उसी विषय की कक्षाएं संचालित नहीं हो रही हैं। शासन स्तर से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के दावे हो रहे हैं, लेकिन इस महाविद्यालय की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
वित्ताीय वर्ष 2006-07 में वाणिज्य संकाय के साथ शुरू हुए नैनीडांडा महाविद्यालय में वर्तमान में वाणिज्य संकाय में शिक्षक ही नहीं है। नतीजा, छात्रों को वाणिज्य की पढ़ाई के लिए रामनगर या कोटद्वार जान पड़ रहा है। वर्तमान में महाविद्यालय में 228 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें से 26 वाणिज्य संकाय के हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं है। कहने को महाविद्यालय में वर्ष 2008-09 में कला संकाय व 2011-12 में विज्ञान संकाय भी शुरू हुआ, लेकिन शिक्षक न होने के कारण इन संकायों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अधर में है।
यह है शिक्षकों की स्थिति
राजकीय महाविद्यालय नैनीडांडा में वाणिज्य संकाय में वर्तमान में शिक्षक नहीं है। कला संकाय में राजनीति विज्ञान, इतिहास व अर्थशास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों का संचालन भी भगवान भरोसे है। इनमें भी शिक्षक नहीं है। महाविद्यालय को भौतिक, रसायन, वनस्पति विज्ञान, गणित व जंतु विज्ञान संचालन की मान्यता है, लेकिन शिक्षकों के नाम पर महज वनस्पति विज्ञान विभाग में ही एक शिक्षक है। भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान व गणित विषय में शिक्षक तैनात नहीं हैं।
यह हुए प्रयास
महाविद्यालय प्रशासन चक्रानुक्रम में अन्य महाविद्यालयों से व्यवस्था पर शिक्षकों को लाता तो है, लेकिन यह व्यवस्था अधिक दिन नहीं चल पाती। नतीजा, महाविद्यालय होने के बावजूद छात्रों को अध्ययन के लिए कोटद्वार या रामनगर की दौड़ लगानी पड़ती है।
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शासन को समय-समय पर नियमित शिक्षकों की तैनाती को लिखा जाता है। लेकिन, कोई फायदा नहीं।
डॉ. सुशीला सूद, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, धुमाकोट