'चहेतों' पर करम, 'मिट्टी' में नियम
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : नियमानुसार किसी भी सरकारी योजना के पूर्ण होने के बाद शेष धनराशि शासन को लौटाए जाने का प्रावधान है, लेकिन लोक निर्माण विभाग की दुगड्डा इकाई कोई भी नियम-कायदे नहीं मानती। शायद यही कारण है कि विभाग ने 'चहेतों' को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को भी ताक पर रख दिया है।
दरअसल, ग्रामसभा काशीरामपुर अंतर्गत ग्राम काशीरामपुर तल्ला में शासन ने 30 मार्च 2011 को कोटद्वार क्षेत्र में आठ सड़कों के निर्माण के लिए 1345.40 लाख की धनराशि अवमुक्त की थी। इन्हीं आठ सड़कों में शामिल 2.50 किमी लंबी हनुमान मंदिर-गाड़ीघाट-काशीरामपुर तल्ला होते हुए खोह नदी तक बनने वाली सड़क के निर्माण को 335.22 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई थी। विभाग ने सड़क तो बनाई, लेकिन सड़क निर्माण के बाद शेष धनराशि शासन को वापस लौटाने के बजाय मनमर्जी से क्षेत्र में करीब ढाई सौ मीटर सीसी मार्ग बना डाला। सूत्रों की माने तो जिस क्षेत्र में सीसी मार्ग बनाया गया, वहां लोनिवि के एक अधिकारी का आवास है। मजे की बात तो यह है कि जिस सड़क के लिए शासन ने धनराशि अवमुक्त की थी, वह 12 से 14 फीट चौड़ाई की है। जबकि, अधिकारी के घर को जाने वाले सीसी मार्ग की चौड़ाई 18 से 20 फीट है। मामला सामने आने के बाद अब विभाग खुद की बनाई सड़क पहचानने को तैयार नहीं है।
पालिका को भी दिखाया ठेंगा
कोटद्वार : सरकारी धन को ठिकाने लगाने के लिए विभाग ने न सिर्फ कायदे-कानूनों को ताक पर रखा, बल्कि पालिका को भी ठेंगा दिखा दिया। दरअसल, लोनिवि ने जिस क्षेत्र में सड़क बनाई वह पालिका के अधीन है व सड़क निर्माण से पूर्व पालिका से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना जरूरी था। सड़क निर्माण के दौरान पालिका की ओर से आपत्ति भी जताई गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पालिका कई मर्तबा उनके क्षेत्र में बगैर अनुमति सड़क बनाए जाने को लेकर लोनिवि अधिशासी अभियंता को पत्र भेज चुकी है, लेकिन विभाग जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझ रहा है।
'पालिका क्षेत्र में बगैर अनुमति लोनिवि ने सड़क निर्माण किया है, जो कि पूरी तरह नियम विरूद्ध है। लोनिवि को इस संबंध में कई मर्तबा पत्र भेजे गए हैं, लेकिन कोई जबाव नहीं आ रहा।
रश्मि राणा, अध्यक्ष, नगर पालिका, कोटद्वार'
'सड़क निर्माण के बाद शेष धनराशि वापस शासन में जमा होनी थी। उक्त धनराशि को सड़क निर्माण में लगाया गया, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। सड़क पालिका क्षेत्र में कैसे बनी, यह भी जानकारी नहीं है। पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जाएगा।
राजेश चंद्रा, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, दुगड्डा'