जोखिम में जान, जिंदगी हलकान
जागरण संवाददाता, पौड़ी: एकेश्वर, पोखड़ा ब्लॉक व पौड़ी से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो वर्ष से मानव व वन्य जीवों के बीच खूनी संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है।
गत वर्ष मार्च से शुरु हुई वारदातों की ही बात करें तो पहले गत वर्ष मार्च माह में ही एकेश्वर क्षेत्र में गुलदार ने तीन लोगों को निवाला तथा एक को घायल किया। तब हालात ये बन गए कि खौफ में जी रहे ग्रामीणों ने कई दिनों तक अपने बच्चों को स्कूल ही नहीं भेजा। महिलाएं भी चारा पत्ती के लिए जंगल जाने से भी कतराने लगी। इस बीच वन विभाग ने आदमखोर गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजड़ें लगाए और दो गुलदारों का कैद करने में सफलता पाई। उस समय विभाग दावा था कि इन्ही में से एक आदमखोर है तो लोगों ने राहत ली। बाद में इसी वर्ष सितंबर माह में ही क्षेत्र के पंचूर गांव में गुलदार ने एक महिला को अपना निवाला बना दिया। विभाग ने यहां सुरक्षा कर्मियों के साथ ही शिकारी लखपत सिंह व जॉय हुकील को तैनात कर दिया। करीब एक माह बाद याने गत अक्टूबर माह में शिकारी दल ने गुलदार को ढेर कर दिया। उनका दावा था कि यही गुलदार आदमखोर है। फिर बडोनी गांव व पोखड़ा क्षेत्र में गुलदार ने ग्रामीणों को घायल किया। नए साल में बीती रात्रि डुंगरी गांव निवासी रामचरण को गुलदार ने घोड़ीखाल में निवाला बना क्षेत्र के ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
गुलदार के हमले में मारे गए लोग
-15 मार्च 2013 को सिरोड़ा गांव की बच्ची देवी
- 31 मार्च को बरसू गांव की पाखी देवी
-15 मार्च को बुधगांव की बालिका प्रिया
- चार जुलाई को बिंजोली गांव की बालिका काजल
-आठ जुलाई को मनकोट गांव की झबरी देवी
-नौ सितंबर को पंचूर गांव की लक्ष्मी देवी
-एक अप्रैल 2014 को डुंगरी गांव निवासी रामचरण।
गुलदार ने घायल किए लोग
जिले में गुलदार के हमले में अब तक दस लोगों को घायल किया गए इनमें मनीगांव, किमगडीगाड, किमोली, बडोली गांव, पिनानी गांव, पोखड़ा के ग्रामीण शामिल हैं।
चार गुलदार मृत मिले, एक हुआ ढेर:
जनपद के एकेश्वर क्षेत्र में आदमखोर के नाम पर शिकारी दल ने सितंबर 2013 में एक गुलदार को ढेर किया, जबकि इससे पूर्व दो गुलदारों को पिंजडे़ में कैद किया गया। इसके अलावा भी खंडाह-श्रीकोट, पोखड़ा, थलीसैंण व नागदेव रेंज में एक-एक गुलदार मृत मिले।
'घोड़ीखाल में गुलदार ने एक व्यक्ति को मारने की खबर है। कई बार गुलदार बूढ़ा होने पर जंगलों में शिकार करने में असमर्थ हो जाता है। इस कारण वह आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाता है। इसके अलावा भी कई कारण हैं। ऐसे वक्त में सभी को सावधानी बरतनी जरुरी है।
राजमणी पांडे, डीएफओ, गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी गढ़वाल।