नौ माह बाद भी जोखिम में जिंदगी
जागरण संवाददाता, पौड़ी: दैवीय आपदा को नौ माह गुजर गए हैं, लेकिन अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जो आपदा के जख्मों से उबर नहीं पाए। मार्ग क्षतिग्रस्त पड़े हैं व लोगों को मीलों पैदल सफर तय करना पड़ रहा है। विडंबना यह है कि इसकी चिंता न तो जिम्मेदार विभाग लोनिवि को है न ही जनप्रतिनिधियों को। ऐसे में कैसे सुधरेंगे हालात यही सबसे बड़ा सवाल है।
गत वर्ष जून में दैवीय आपदा से पैठाणी क्षेत्र में काफी तबाही हुई थी। आलम यह कि आपदा की मार से तब न केवल सैकड़ों मवेशियों की मौत हुई थी बल्कि कई गांवों में खेत भी आपदा की भेंट चढ़ गए थे। पैठाणी-चुठाणी मोटरमार्ग भी जगह-जगह भूस्खलन व भू-धंसाव से अवरुद्ध हो गया था। तभी से मार्ग बंद पड़ा है। पूर्व में मोटरमार्ग खोलने के लिए ग्रामीणों ने कई बार लोनिवि से गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब स्थिति यह है कि ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त मार्ग से गुजरना ही पड़ रहा है।
इन गांवों के ग्रामीण परेशान
मलुंड, गोदा, छोया, चुठाणी, चोपड़ा, महरगांव।
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क्षतिग्रस्त मोटर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही सुचारु करने के लिए विभाग ने करीब एक करोड़ का इस्टीमेट बनाया था। निर्माण कार्य विश्व बैंक की धनराशि से होना है। इसे अब दूसरी विंग कर रही है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
महिपाल सिंह रावत, अधिशासी अभियंता, लोनिवि निर्माण खंड पौड़ी