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सीटीआर के मालखाने में सड़ रहीं हैं वन्यजीवों की खालें

कॉर्बेट टाईगर रिजर्व के माल खाने में सालों से सहेज कर रखी गईं वन्यजीवों की खालें अब सड़ रही हैं। इन्‍हें नष्‍ट नहीं किया जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 12 Sep 2017 04:40 PM (IST)Updated: Tue, 12 Sep 2017 10:48 PM (IST)
सीटीआर के मालखाने में सड़ रहीं हैं वन्यजीवों की खालें
सीटीआर के मालखाने में सड़ रहीं हैं वन्यजीवों की खालें

रामनगर, [विनोद पपनै]: कॉर्बेट टाईगर रिजर्व के माल खाने में सालों से सहेज कर रखी गईं वन्यजीवों की खालें अब भी अपने वजूद की समाप्ति का इंतजार कर रही हैं, लेकिन विभाग की हीलाहवाली के कारण इन्हें नष्ट नहीं किया जा सका। आश्चर्य तो इस बात पर है कि 30 जून 2008 को तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदोला ने इन खालों को नष्ट करने के आदेश दिए थे, बावजूद अधिकारियों ने नष्ट करने की जहमत नहीं उठाई।

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बता दें कि वन क्षेत्र में यदि कोई वन्यजीव दुर्घटना, प्राकृतिक अथवा आपसी संघर्ष में मारा जाता है तो मौके पर ही उसका पोस्टमार्टम करने के बाद शव जलाकर नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन अवैध शिकार के दौरान बरामद हुईं खालों को साक्ष्य के तौर पर तब तक सुरक्षित रखा जाता है जब तक कि मामले का निस्तारण न्यायालय में न हो जाए। ऐसे कई मामले हैं जिनका न्यायालय से निस्तारण तो हो गया। बावजूद खालों को नष्ट नहीं किया गया।

खुद सीटीआर के आंकड़े इस बात की गवाही देते नजर आते हैं कि कॉर्बेट वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र कालागढ़, कलागढ़ रेंज, वन्यजीव प्रतिपालक पश्चिमी रेंज, सर्पदुली रेंज, वन्यजीव प्रतिपालक कोटद्वार अंचल, बिजरानी रेंज तथा शोध रेंज में 380 वन्यजीवों की खालें अभी भी नष्ट होने के इंतजार में हैं। विभाग ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए हैं। 

 क्या था आदेश 

 30 जून 2008 में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदौला ने अपने आदेश में कहा था कि केवल हाथी दांत को छोड़कर विवाद रहित वन्यजीव सामग्री को नष्ट कर दिया जाए, लेकिन इसे नष्ट करने से पूर्व वृत्त स्तर पर एक समिति का गठन कर नष्ट करने वाली सामग्री को सत्यापित कर लिया जाए।

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