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घर को आकर्षक लुक दे रही कुमाऊं की पारंपरिक लोक कला ऐपण nainital news

तीन-चार दशक पहले तक गांवों में सीमेंट के मकान गिनती के होते थे। पत्थर व लकड़ी से निर्मित घरों को ऐपण (अल्पना) से सजाकर खूबसूरत लुक दिया जाता था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 07:38 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 11:53 AM (IST)
घर को आकर्षक लुक दे रही कुमाऊं की पारंपरिक लोक कला ऐपण nainital news
घर को आकर्षक लुक दे रही कुमाऊं की पारंपरिक लोक कला ऐपण nainital news

गणेश पांडे, हल्द्वानी। तीन-चार दशक पहले तक गांवों में सीमेंट के मकान गिनती के होते थे। पत्थर व लकड़ी से निर्मित घरों को ऐपण (अल्पना) से सजाकर खूबसूरत लुक दिया जाता था। तीज-त्योहार व मांगलिक कार्यों में ऐपण उकेरने व विभिन्न तरह की चौकियां बनाने का चलन रहा है। आधुनिक दौर में पुराने समय के कच्चे घर भले कम बचे हों, लेकिन ऐपण कला पूरी तरह बची हुई है।

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शहरों में आलीशान मकानों में रहने वाले लोग घर को सुंदर लुक देने के लिए ऐपण कला को अपना रहे हैं। मंदिर के साथ ड्राइंग रूम, लॉबी आदि को खूबसूरत ऐपण से सजाने का चलन बढ़ा है। इससे एक तरफ जहां पारंपरिक लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है, दूसरी ओर इस कला में हुनर रखने वालों के लिए स्वरोजगार के अवसर भी मुहैया हो रहे हैं। नैनीताल जिले की कई महिलाएं व युवतियां इस काम को आगे बढ़ा रही हैं। ऐपण आर्टिस्ट अभिलाषा पालीवाल ने कहा कि उत्तराखंडी संस्कृति से ऐपण का गहरा जुड़ाव रहा है। समय के साथ ऐपण का स्वरूप भले बदला हो, लेकिन उसका महत्व नहीं बदला। बदलते समय के साथ शहर के लोग भी ऐपण व ऐपण विधा से जुड़ी पेंटिंग को पसंद कर रहे हैं।

ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती का कहना है कि ऐपण कला को मैंने अपनी दादी व माताजी से सीखा। चार माह पहले मैंने ऐपण को व्यावसायिक रूप देने की दिशा में काम शुरू किया। सोशल मीडिया पर लोगों की काफी सराहना मिली। आज मुझे दूसरे शहरों से भी डिमांड आने लगी है। संस्कृति कर्मी डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि उत्तराखंडी लोक कला के विविध आयाम हैं। लोक कला ऐपण अल्पना का प्रतिरूप है। वैज्ञानिक व प्रौद्योगिकी के युग में लोग ऐपण को अपना रहे हैं, यह सकारात्मक उम्मीद जगाने के साथ हमारी संस्कृति की समृद्धता को दर्शाने वाला है।

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