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देवस्थानम एक्ट के विरोध में स्वामी की याचिका को निरस्त कराने हाईकोर्ट पहुंची रूलक संस्‍था

उत्तराखंड के देवस्थानम अधिनियम को सही व विधि सम्मत करार देते हुए रुलक संस्‍था देहरादून की ओर से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 02:04 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 09:05 AM (IST)
देवस्थानम एक्ट के विरोध में स्वामी की याचिका को निरस्त कराने हाईकोर्ट पहुंची रूलक संस्‍था
देवस्थानम एक्ट के विरोध में स्वामी की याचिका को निरस्त कराने हाईकोर्ट पहुंची रूलक संस्‍था

नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड के देवस्थानम अधिनियम को सही व विधि सम्मत करार देते हुए रुलक संस्‍था देहरादून की ओर से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। जिसमें अधिनियम को चुनौती देती भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को निरस्त करने की मांग की गई है। स्वामी की याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को  जवाब दाखिल करन को कहा था।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्‍यसभा सांसद व प्रसिद्ध अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर अधिनियम को चुनौती दी थी। स्वामी ने इस अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया था। जिसमें कहा था सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। इधर रुलक की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल कर अधिनियम को सही करार दिया है। कहा कि सरकार को मंदिर के चढ़ावे के प्रबंधन का अधिकार है। इस अधिनियम से किसी के धार्मिक आजादी के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता। इस प्रार्थना पत्र पर कल या परसों सुनवाई हो सकती है।

24 फरवरी स्वामी ने दायर की थी याचिका 

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इसी साल 24 फरवरी को सरकार की ओर से बनाए गए देवस्थानम ऐक्ट के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि सिद्धांत के खिलाफ यदि पार्टी काम करती है तो उसे रास्ते पर लाना कार्यकर्ताओं की प्रमुखता होनी चाहिए।  पत्रकारों से बातचीत में स्वामी ने कहा था कि 2014 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें कोर्ट ने आदेश दिए थे कि सरकार मंदिरों को अपने हाथ में नहीं ले सकती है, लेकिन उसकी वित्तीय व्यवस्थाओं में सुधार किया जा सकता है। हालांकि व्यवस्थाएं दुरुस्त कर उसे मंदिर समिति को ही वापस करना होगा। उन्हाेंने कहा कि सरकार का काम मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि चलाना नहीं है। मंदिरों की धनराशि का दुरुपयोग न हो, इसके लिए मंदिरों को सरकार नहीं, बल्कि पुजारी और अन्य पदाधिकारी ही चलाएं। 

सरकार का विरोध में नहीं रास्ते पर लाने का काम 

स्वामी ने कहा था कि सरकार ने पौराणिक मंदिरों के संरक्षण एवं विकास के लिए जो देवस्थानम ऐक्ट तैयार किया है, उसे रद कराने को वह कोर्ट की शरण में आए हैं। अंग्रेजों के शासनकाल से ऐसे ही चल रहे मंदिरों को संबंधित ट्रस्टी को देना होगा। स्वामी ने कहा था कि सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। वित्तीय अनियमितता में सुधार के लिए सरकार को आगे आना होगा। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्य योजना तय करेंगे। उन्होंने कहा कि वह सरकार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि सरकार सिद्धांतों के खिलाफ निर्णय लेती है तो उसे रास्ते पर लाना मुख्य काम होना चाहिए।

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