हर चार मिनट में भारत की सड़कों पर एक व्यक्ति की मौत, जानिए क्या है वजह
देशभर में सड़क हादसों में एक साल के भीतर लगभग डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं। इस हिसाब से हर चार मिनट में भारत की सड़कों पर एक व्यक्ति की मौत हादसे की वजह से होती है।
हल्द्वानी, जेएनएन : देशभर में सड़क हादसों में एक साल के भीतर लगभग डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं। इस हिसाब से हर चार मिनट में भारत की सड़कों पर एक व्यक्ति की मौत हादसे की वजह से होती है। यानी नियमों का पालन नहीं करना हादसों की बड़ी वजह है।
सर्वाधिक हादसों में कारण चालक की लापरवाही होता है। इसलिए चालक के ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य एवं प्राथमिक आवश्यकताएं होती हैं। विशेषकर कॉमर्शियल भारी वाहनों के लाइसेंस के लिए जरूरतें और बढ़ जाती हैं। चालक को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होना चाहिए। इसके लिए लाइसेंस के आदेश के समय प्रपत्र एक में चिकित्साधिकारी की ओर से जारी प्रमाण पत्र संलग्न किया जाता है। अन्य जरूरी शर्तों के पर्याप्त प्रशिक्षण के बाद चालक के वाहन चालन का प्रशिक्षण होता है। इस पूरी प्रक्रिया को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। हालांकि इस दिशा में काम किए जा रहे हैं।
देहरादून में राजकीय मोटर प्रशिक्षण संस्थान झांझरा में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाना शुरू किया गया है। हल्द्वानी के गौलापार में भी ऐसे ही प्रशिक्षण संस्थान की जल्द स्थापना की जानी है। कई आरटीओ कार्यालयों में जल्द ही आटोमेटेड ड्राइविंग लाइसेंस ट्रैक बनाए जाने हैं।
नियमों की जानकारी होना जरूरी
सड़क नियमों की शत-प्रतिशत जानकारी हर व्यक्ति को होना जरूरी है। जागरूकता ही सड़क हादसों व जन क्षति रोकने का सबसे बड़ा माध्यम है। पैदल चलते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं, कहां नो एंट्री है, कहां ओवरटेक नहीं लेना है, कब यू टर्न लेना है या इंडीकेटर कब देना है, आई बीम का प्रयोग कहां नहीं करना है आदि जानकारियां सड़कों पर हमें सुरक्षित रख सकती हैं। अब तक देश में सड़क सुरक्षा जागरूकता के लिए पर्याप्त काम नहीं हुआ है। इस साल सोशल मीडिया भी सड़क सुरक्षा जागरूकता का सशक्त माध्यम बन रहा है। स्कूल, कॉलेज, विभिन्न संस्थान, मेले, रामलीला आदि स्थानों पर जहां जनमानस बहुतायत में उपलब्ध हों, वहां सड़क सुरक्षा विषय के कार्यक्रम चलाया जाना सकारात्मक होगा।
दुर्घटना के अहम कारण, तेज रफ्तार, नींद व थकान
तेज रफ्तार सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ा कारण है। 70 फीसद सड़क दुर्घटनाएं ओवरस्पीड की वजह से होती हैं। तेज रफ्तार से जीवन व मृत्यु के बीच की रेखा बहुत बारीक हो जाती है। यदि एक्सप्रेस वे न हो तो दोपहिया वाहनों के लिए साठ से अधिक व कार के लिए 80 से अधिक स्पीड नहीं होनी चाहिए। हादसों के पीछे नींद, थकान, चालक के नशे में होना भी अहम कारण हैं। कभी भी आठ घंटे से अधिक स्टीयङ्क्षरग ड्यूटी एक बार में न करें। नींद या थकान का अहसास होता है तो वाहन पार्किंग में खड़ा कर कुछ देर आराम कर लें। यदि जाना जरूरी है तो अच्छी तरह से मुंह धोएं। बालों को गीला करें और एक रूमाल भिगाकर निचोडऩे के बाद गर्दन के पीछे से आगे की तरफ रोक कर रखें। नशे का सेवन कर वाहन बिल्कुल भी नहीं चलाएं।
डीएल देने से पहले चालकों की दक्षता का किया जाता है आकलन
विमल पांडे, नोडल अधिकारी, सड़क सुरक्षा, परिवहन विभाग ने बताया कि सड़क सुरक्षा के लिए चालकों का जागरूक होना जरूरी है। इसके लिए परिवहन विभाग की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले चालकों की दक्षता का आकलन करने के लिए नए-नए प्रयास जारी हैं। देहरादून के बाद हल्द्वानी में मोटर प्रशिक्षण संस्थान खोलने की कवायद चल रही है।
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