सादगी के साथ एनडी ने मनाया जन्मदिन
वयोवृद्ध कांग्रेसी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने अपना 92वां जन्म दिन सादगी से मनाया। समारोह में कुमाऊं का लोकरंग तो नजर आया, लेकिन राजनीतिक रंग फीका रहा।
हल्द्वानी, [जेएनएन]: वयोवृद्ध कांग्रेसी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने अपना 92वां जन्म दिन सादगी से मनाया। समारोह में कुमाऊं का लोकरंग तो नजर आया, लेकिन राजनीतिक रंग फीका रहा। पिछली बार पहुंची राजनीतिक हस्तियों ने इस मर्तबा समारोह से किनारा कर लिया। आमंत्रण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ ही प्रदेश के पांचों सांसदों को भी भेजा गया था, लेकिन सबने शुभकामना संदेश भेज आने में असमर्थता जताई। समारोह में मौजूद थे तो सिर्फ उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश और यशपाल आर्य।
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मंगलवार को तिवारी का जन्मदिन मनाने के लिए रामलीला मैदान में भव्य आयोजन किया गया था। सुबह 10 बजे से ही समर्थकों का जमावड़ा लगने लगा। कुछ देर बाद ही एनडी पत्नी उज्ज्वला तिवारी और पुत्र रोहित शेखर के साथ मंच पर पहुंचे। एनडी ने मंच से समर्थकों को अभिवादन किया तो रोहित ने लोगों को संबोधित किया। रोहित ने कहा कि पिता जी के लिए लोगों का प्यार आज भी वैसा ही है जैसे वर्षों पहले था। उनके विकास कार्यों को लोग आज भी याद करते नहीं थकते। सर्जिकल स्ट्राइक को रोहित ने सही कदम बताया। कहा कि इस पर राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इससे पहले रोहित ने समर्थकों के साथ हवन-पूजन कर पिता के दीर्घायु की कामना की।
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समारोह में प्रदेश की वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश ने कहा कि एनडी विकास के एक स्तंभ हैं। छात्र राजनीति से लेकर राज्य व केंद्र में महत्वपूर्ण पदों पर रहने के दौरान उन्होंने उत्तराखंड को एक नई ऊंचाई देने का काम किया है। उनके विकास का मॉडल आज भी अनुकरणीय है। राजस्व मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि एनडी तिवारी हम सभी के मार्गदर्शक हैं। वह उनके दीर्घायु का कामना करता हैं। इस दौरान कुमाऊं के विभिन्न स्थानों से आए कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर अतिथियों का मन मोह लिया।
रोहित को मौका मिलना चाहिए : एनडी
जन्मदिन समारोह के दौरान एनडी तिवारी ने पत्रकारों से कहा कि इस आयोजन में समर्थकों का उत्साह देखकर काफी अच्छा लगा। रोहित मेरा बेटा है। राजनीति में उसके लिए समीकरण भी बनेंगे। यह उसकी इच्छा है कि वह सपा से चुनाव लड़ेगा या कांग्रेस से। मेरा आशीर्वाद उसके साथ है।
आजादी की लड़ाई में आंदोलनकारी रहे हैं एनडी तिवारी
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था। तब उत्तर प्रदेश का गठन भी नहीं हुआ था। भारत का ये हिस्सा 1937 के बाद से यूनाइटेड प्रोविंस के तौर पर जाना गया और आजादी के बाद संविधान लागू होने पर इसे उत्तर प्रदेश का नाम मिला।
तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे। नारायण दत्त तिवारी की शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी, बरेली और नैनीताल में हुई।
अपने पिता की तरह ही वे भी आजादी की लड़ाई में शामिल हुए। 1942 में वह ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ नारे वाले पोस्टर और पंपलेट छापने और उसमें सहयोग के आरोप में पकड़े गए। उन्हें गिरफ्तार कर नैनीताल जेल में डाल दिया गया था।
पहले सीएम जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे
एक जनवरी 1976 को एनडी तिवारी पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह कार्यकाल बेहद संक्षिप्त था। 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह अकेले राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2002 में वे उत्तराखंड के सीएम रहे। इसके अलावा वे 1986 में भारत के विदेश मंत्री भी रहे। 2007 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल का कार्यभार संभाला था।
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