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विधवा की आठ साल की बेटी का अपहरण, ऐसे पहुंची अपने घर

हल्‍द्वानी में एक विधवा अपने दो बच्‍चों दस साल का बेटा और आठ साल की बेटी को घर पर छोड़कर मजदूरी करने गई थी। लौटी तो पता लगा बेटी गायब है। यह भी सुना कि उनके घर एक ऑटो वाला आया था।

By Gaurav KalaEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 10:14 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 07:09 AM (IST)
विधवा की आठ साल की बेटी का अपहरण, ऐसे पहुंची अपने घर
विधवा की आठ साल की बेटी का अपहरण, ऐसे पहुंची अपने घर

हल्द्वानी, [जेएनएन]: कुसुमखेड़ा में अस्थायी झोपड़ी बनाकर रहने वाली मजदूर विधवा की आठ साल की बेटी को ऑटो चालक ने अगवा कर लिया। देर शाम घटना की सूचना मिलने पर पुलिस महकमे में खलबली मच गई। सीमाओं पर नाकेबंदी करने के साथ ही तीन स्पेशल टीमें गठित कर दी गई हैं। कैसेे रेस्क्यू की गई बच्ची। पढ़ें।

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मूल रूप से उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले की निवासी हाल निवासी नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में विधवा महिला ठेकेदार के अधीन भवन निर्माण में मजदूरी कर अपना और दो बच्चों का भरण-पोषण करती है।

वह कुसुमखेड़ा की आरके टेंट हाउस रोड में गायत्री विहार के पास एक निर्माणाधीन भवन के पास ईंटों की अस्थायी झोपड़ी बनाकर रहती है। बीते रोज वह नवीन मंडी के पास ठेकेदार की दूसरी साइट पर काम करने गई थी। झोपड़ी में उसका 10 साल का बेटा और आठ साल की बेटी प्रियंका थी। शाम करीब छह बजे काम से लौटी तो प्रियंका का कोई पता नहीं चला।

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साथी मजदूरों व आसपास के लोगों ने बच्ची की तलाश शुरू की। पुलिस तक मामला पहुंचा तो सीओ लोकजीत सिंह समेत कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई। प्रियंका के भाई ने पूछताछ में बताया कि दोपहर तीन से पांच बजे के बीच एक आटो चालक आया था। आटो चालक 20-22 साल का लग रहा था।

उसने कई चक्कर आटो उनकी झोपड़ी के आसपास घुमाया। इसके बाद दोनों भाई-बहनों को रुपये देकर पास की दुकान में बीड़ी का बंडल लेने भेजा। बंडल नहीं मिलने पर दोनों लौट आए। फिर उसने आटो में घुमाने का लालच दिया। भाई ने घूमने से मना कर दिया, जबकि प्रियंका आटो में बैठ गई। दो चक्कर सड़क पर घुमाने के बाद वह छड़ायल की ओर चला गया।

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कुसुमखेड़ा के आरके टैंट हाउस रोड से अपहृत बच्ची को आटो चालक गोरापड़ाव-रामपुर रोड में पड़ने वाले जंगल में छोड़कर फरार हो गया था। शाम को ही ये बच्ची जंगल से गुजरने वाले रास्ते में एक ठेकेदार को मिल गई। ठेकेदार ने बच्ची को साथ लेकर घर ढूंढने की कोशिश की।

बच्ची के घर नहीं बता पाने पर उसने बच्ची को एक आशा कार्यकत्री के सुपुर्द कर दिया। वहीं आशा कार्यकत्री ने सुबह सिटी कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को बच्ची के उसके पास होने की जानकारी दी।

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